हिमाचल प्रदेश में विवादित संजौली मस्जिद को अवैध बताते हुए शिमला नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने शनिवार को पूरी तरह तोड़ने के आदेश दिए हैं। इससे पहले पांच मंजिला इस मस्जिद की तीन मंजिलों को गिराने के आदेश हुए थे। आज, बाकी की दो मंजिलों को गैरकानूनी बताते हुए उसे भी हटाने के आदेश दे दिए गए।
खबर खास, शिमला :
हिमाचल प्रदेश में विवादित संजौली मस्जिद को अवैध बताते हुए शिमला नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने शनिवार को पूरी तरह तोड़ने के आदेश दिए हैं। इससे पहले पांच मंजिला इस मस्जिद की तीन मंजिलों को गिराने के आदेश हुए थे। आज, बाकी की दो मंजिलों को गैरकानूनी बताते हुए उसे भी हटाने के आदेश दे दिए गए।
गौर रहे वक्फ बोर्ड निगम की अदालत में मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक के कागज पेश नहीं कर पाया। दूसरे मस्जिद का नक्शा या किसी भी तरह की एनओसी भी मस्जिद कमेटी के पास नहीं मिली बकि वक्फ बोर्ड लंबे समय तक जमीन पर मालिकाना हक का दावा करता रहा है।
इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ऑर्डर को पूरी तरह पढ़ने और समझने के बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी। मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ का कहना है कि अभी आदेश की कॉपी उनके पास नहीं पहुंची है।
आदेश को लेकर लोकल रेजिडेंट के एडवोकेट जगतपाल ने कहा शिमला निगम कमिश्नर के कोर्ट ने आज पूरी संजौली मस्जिद को गिराने का आदेश जारी किया है। जो 2 फ्लोर बचे थे, उन्हें भी अवैध माना है और पूरी तरह साफ करने को कहा है।
उन्होंने कहा- 5 अक्टूबर 2024 के ऑर्डर में मस्जिद की ऊपरी 3 मंजिलों को गिराने का आदेश पहले ही दे दिया गया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि 6 सप्ताह में पूरे मामले का निपटारा किया जाए। इसके बाद कमिश्नर ने पूरी मस्जिद को ही हटाने को कहा है। हाईकोर्ट का दिया 6 सप्ताह का समय 8 मई को पूरा होना था, लेकिन लास्ट वर्किंग शनिवार आज था, इसलिए कमिश्नर ने दोपहर पौने 1 बजे ही फैसला सुरक्षित कर दिया था। इसके बाद करीब डेढ़ बजे फैसला सुनाया गया।
वकील ने बताया कि आज के आदेश में क्लियर किया गया है कि 15 साल से हिमाचल प्रदेश का वक्फ बोर्ड जमीन पर हक जता रहा है, लेकिन मालिकाना हक कोर्ट में साबित नहीं कर पाया। पुरानी मस्जिद को गिराते समय भी उन्होंने कोई शिकायत नहीं की थी, इसलिए मौजूदा समय में उस जगह पर किसी मस्जिद का अस्तित्व ही नहीं रहा। पुराना मस्जिद गिराने के बाद वह जमीन अपने आप हिमाचल सरकार के पास चली गई थी।
वकील ने कहा कि कमिश्नर ने अपने आदेश में क्लियर कहा है कि जब आपने पुरानी मस्जिद को बिना परमिशन के गिरा दिया था और आपके पास दोबारा मस्जिद बनाने का सैंक्शन मैप भी नहीं था तो आप मस्जिद नहीं बना सकते थे। इस कारण आपने पूरी मस्जिद का निर्माण गैर कानूनी तरीके से किया।
वकील जगतपाल बोले कि हैरानी की बात है कि 15 साल में वक्फ बोर्ड नगर निगम से गारबेज और टैक्स की एनओसी तक नहीं ले पाया। इसके कारण भी उसके पास नहीं थे।
गौर रहे कि निगम आयुक्त कोर्ट में यह केस 15 साल से चल रहा था। अब तक इस मामले में 50 से भी ज्यादा बार सुनवाई हो चुकी थीं। संजौली मस्जिद के आसपास के लोकल रेजिडेंट ने निगम कोर्ट में चल रहे इस केस को जल्दी निपटाने के लिए बीते साल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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