हरियाणा प्रदेश एक महत्वपूर्ण वित्तीय उपलब्धि हासिल करते हुए देश भर में सकल जीएसटी संग्रह में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। अप्रैल 2025 में हरियाणा ने 14,057 करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह किया है। यह उपलब्धि ऐसे समय में मिली है जब भारत ने इसी अवधि के दौरान 2.37 लाख करोड़ रुपये का अपना उच्चतम मासिक जीएसटी संग्रह दर्ज किया है।
राज्य ने अप्रैल 2025 में एसजीएसटी संग्रह में 15.70% की वृद्धि की दर्ज – मुख्यमंत्री
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा प्रदेश एक महत्वपूर्ण वित्तीय उपलब्धि हासिल करते हुए देश भर में सकल जीएसटी संग्रह में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। अप्रैल 2025 में हरियाणा ने 14,057 करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह किया है। यह उपलब्धि ऐसे समय में मिली है जब भारत ने इसी अवधि के दौरान 2.37 लाख करोड़ रुपये का अपना उच्चतम मासिक जीएसटी संग्रह दर्ज किया है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, जिनके पास आबकारी एवं कराधान विभाग का प्रभार भी है, ने आज यहां इस सम्बन्ध में जानकारी साझा करते हुए बताया कि हरियाणा, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 5वें स्थान पर था, ने अब अप्रैल 2025 में तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को पछाड़कर चौथा रैंक हासिल किया है।
हरियाणा ने अप्रैल 2025 में राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) संग्रह के रूप में 2,492.43 करोड़ रुपये प्राप्त किये, जो अप्रैल 2024 में एकत्र 2,154.13 करोड़ रुपये की तुलना में 15.70% की उल्लेखनीय वृद्धि है। यह पर्याप्त वृद्धि हरियाणा के लगातार बेहतर आर्थिक प्रदर्शन और कुशल कर प्रशासन को दर्शाती है।
मुख्यमंत्री ने इस सफलता का श्रेय राज्य के पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-संचालित शासन को दिया, जिससे कर अनुपालन को बढ़ाया है और कर आधार का विस्तार किया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह में यह उछाल न केवल हरियाणा की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राष्ट्रीय राजस्व में हरियाणा के महत्वपूर्ण योगदान का प्रमाण है।
जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 के लिए सकल जीएसटी संग्रह में शीर्ष छ: राज्य महाराष्ट्र (41,645 करोड़ रुपये), कर्नाटक (17,815 करोड़ रुपये), गुजरात (14,970 करोड़ रुपये), हरियाणा (14,057 करोड़ रुपये), तमिलनाडु (13,831 करोड़ रुपये) और उत्तर प्रदेश (13,600 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
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