* 16वें वित्त आयोग ने व्यापार एवं उद्योग प्रतिनिधियों के साथ की बैठक * अध्यक्ष ने उद्यमियों को पट्टे पर भूमि उपलब्ध कराने के सुझाव की सराहना की
* 16वें वित्त आयोग ने व्यापार एवं उद्योग प्रतिनिधियों के साथ की बैठक * अध्यक्ष ने उद्यमियों को पट्टे पर भूमि उपलब्ध कराने के सुझाव की सराहना की
खबर खास, चंडीगढ़ :
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि हरियाणा सरकार को मध्यम क्षेत्र के उद्योगों में रोजगार के और अधिक अवसर सृजित करे। उन्होंने कहा कि कई उद्यमी एमएसएमई क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं।
डॉ. पनगढ़िया ने आयोग के अन्य सदस्यों के साथ आज यहां हरियाणा निवास में व्यापार एवं उद्योग के प्रतिनिधियों तथा उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान यह बात कही।
प्रधान सचिव, उद्योग एवं वाणिज्य डा. डी सुरेश ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष हरियाणा के एमएसएमई एवं औद्योगिक परिदृश्य का विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत किया।
डा. डी सुरेश ने बताया गया कि हरियाणा में लगभग 11.27 लाख पंजीकृत एमएसएमई हैं, जिनमें 97.8 प्रतिशत सूक्ष्म उद्योग, 2 प्रतिशत लघु उद्योग तथा 0.2 प्रतिशत मध्यम उद्योग शामिल हैं। ये एमएसएमई सामूहिक रूप से राज्य भर में 53 लाख से अधिक व्यक्तियों के लिए रोजगार पैदा करने में योगदान कर रहे हैं। हरियाणा में एमएसएमई प्रमुख क्षेत्रों में ऑटोमोटिव और ऑटो कंपोनेंट्स, खाद्य प्रसंस्करण और पेय पदार्थ, कपड़ा और रेडिमेड गारमेंटस,चमड़ा, लकड़ी और कागज उत्पाद, इंजीनियरिंग, धातु और उत्पाद, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, पेट्रोकेमिकल्स, रबर उत्पाद और इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि हरियाणा का औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र लगभग 335 बड़े, मेगा और अल्ट्रा मेगा उद्योग शामिल हैं, जिनमें लगभग 1.55 लाख करोड़ रुपये का कुल निवेश है, जो लगभग 3,53,152 व्यक्तियों के लिए रोजगार पैदा कर रहे हैं। हरियाणा के एमएसएमई और औद्योगिक क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि को राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त हुई है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एमएसएमई पुरस्कार 2022 में प्रदान किया था। राज्य के क्लस्टर विकास दृष्टिकोण को भारत सरकार द्वारा सर्वोत्तम प्रणाली के रूप में स्वीकार किया गया है, जबकि हरियाणा की एमएसई सुविधा परिषद को चैंबर ऑफ इंडियन एमएसएमई द्वारा भारत में दूसरा सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। इसके अलावा हरियाणा को भारत सरकार के डीपीआईआईटी द्वारा बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीआरएपी) 2020 के कार्यान्वयन में शीर्ष उपलब्धि के रूप में मान्यता दी गई है।
प्रधान सचिव ने एमएसएमई और उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से हरियाणा सरकार द्वारा की गई सक्रिय पहलों पर भी विस्तार से आयोग को जानकारी दी। इनमें हरियाणा उद्यम और रोजगार नीति (एचईईपी), 2020, भारत सरकार की एमएसई-सीडीपी योजना और हरियाणा राज्य मिनी क्लस्टर विकास योजना के माध्यम से क्लस्टर विकास पहल, कृषि व्यवसाय और खाद्य प्रसंस्करण नीति 2018, एमएसएमई उन्नति के लिए विकास में तेजी लाने का कार्यक्रम (पीएडीएमए), हरियाणा आत्मनिर्भर कपड़ा नीति 2022-2025 के अलावा विभिन्न अन्य क्षेत्रीय नीतियां शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार की प्रमुख योजनाएं जैसे एमएसएमई प्रदर्शन को बढ़ाने और तेज करने (आरएएमपी) कार्यक्रम, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), और प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) हरियाणा में प्रभावी रूप से कार्यान्वित की जा रही हैं, जिससे एमएसएमई क्षेत्र को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिल रहा है।
बैठक के दौरान उद्योग क्षेत्र के एक प्रतिनिधि ने सुझाव दिया कि सरकार को जमीन बेचने के बजाय इसे उद्यमियों को दीर्घकालिक पट्टे पर देना चाहिए, विशेषकर एनसीआर क्षेत्र में जमीन की महंगी दरों को देखते हुए आयोग के अध्यक्ष ने इस सुझाव की सराहना की और आश्वासन दिया कि वे इसे लिखित रूप में मुख्यमंत्री हरियाणा व मुख्य सचिव को भेजेंगे।
इस दौरान डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि उद्योग विभाग के पुराने नियमों को सरल बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा उद्यमियों को अधिक सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिए। व्यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने सीधे संवाद का अवसर प्रदान करने के लिए आयोग के प्रति आभार व्यक्त किया तथा कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है।
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