कहा, यदि कोई दोषी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं तो उसे तुरंत किया जाए रिहा
कहा, यदि कोई दोषी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं तो उसे तुरंत किया जाए रिहा
खबर खास, नई दिल्ली :
सजा पूरी करने के बावजूद जेल में बंद कैदियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष व्यक्त करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि अगर कोई दोषी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे तुरंत रिहा किया जाए। यह मामला न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया था। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में एक आरोपी के मामले में देते हुए दिए।
दरअसल वर्ष 2002 में नीतीश कटारा हत्याकांड में सुखदेव यादव उर्फ पहलवान मामले में पीठ ने कहा कि यादव ने इस साल मार्च में बिना किसी छूट के 20 साल की सजा पूरी कर ली थी और उसे सजा पूरी होने के बाद रिहा कर दिया जाना चाहिए था। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि 9 मार्च, 2025 के बाद यादव को और अधिक कारावास में नहीं रखा जा सकता. सुखदेव यादव ने नवंबर 2024 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने उसे तीन सप्ताह के लिए फरलो पर रिहा करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि यादव ने बिना किसी छूट के 20 साल तक लगातार कारावास की सज़ा काटी है जबकि फरलो जेल से अस्थायी रिहाई है, न कि पूरी सजा का निलंबन या छूट। यह आमतौर पर लंबी अवधि के कैदियों को दी जाती है, जिन्होंने अपनी सजा का एक हिस्सा पूरा कर लिया हो।
पीठ ने कहा कि आदेश की प्रति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को भेजनी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कोई आरोपी या दोषी सजा की अवधि से अधिक समय तक जेल में रहा है। यदि ऐसा है, तो ऐसे दोषियों को रिहा करने के निर्देश जारी करें, यदि वे किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं.
इसी प्रकार की एक प्रति राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भेजी जाएगी, ताकि उसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधिक सेवा प्राधिकरणों के सभी सदस्य सचिवों को भेजा जा सके, ताकि निर्णय के कार्यान्वयन के लिए राज्यों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को सूचित किया जा सके.
गौर रहे कि 2016 में, सर्वोच्च न्यायालय ने विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव को कटारा के अपहरण और हत्या में उनकी भूमिका के लिए बिना किसी छूट के 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी. सह-दोषी सुखदेव यादव को 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। आरोपी यूपी के राजनीतिज्ञ डीपी यादव के बेटे हैं जिन्होंने 16 व 17 फरवरी 2002 को एक विवाह समारोह से नीतीश कटारा का अपहरण कर लिया था और अपनी बहन के साथ कथित प्रेम संबंध के चलते उसकी हत्या कर दी थी।
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