ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर प्रदेश के कोने-कोने से लुप्त होने के कगार पर पंहुचे वाद्य यंत्रों की धुनों को सहजता से सुना जा सकता है। इस बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में लोक कलाकारों ने अपने वाद्य यंत्रों की धुनों से ब्रह्मसरोवर की फिजा को बदलने का काम किया है।
ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर कहीं जंगम जोगी, कहीं नगाड़ा-बीन और कहीं सारंगी की धुन कानों में घोल रही है रस ; रंग-बिरंगे, छैल-छबीले, चमकते परिधानों में सजे कलाकारों संग पर्यटक जमकर ले रहे फोटो
खबर खास, चंडीगढ़ :
ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर प्रदेश के कोने-कोने से लुप्त होने के कगार पर पंहुचे वाद्य यंत्रों की धुनों को सहजता से सुना जा सकता है। इस बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में लोक कलाकारों ने अपने वाद्य यंत्रों की धुनों से ब्रह्मसरोवर की फिजा को बदलने का काम किया है। इस सरोवर के पावन तट पर कहीं जंगम जोगी, कहीं नगाड़ा-बीन और कहीं सारंगी की धुनों को सुनकर पर्यटक मस्ती से झूम रहे है, तो कहीं रंग-बिरंगे, चमकते परिधानों में सजे कलाकारों संग फोटो लेने का क्रेज भी पर्यटकों के सिर चढक़र बोल रहा है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में जहां प्रदेश के लोक कलाकार पर्यटकों को आनन्दित कर रहे हैं, वहीं इस प्रकार के महोत्सव लुप्त हो रही कलाओं का संगम भी बना है। इन्ही तमाम पहलूओं को लेकर ही सरकार के कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग की तरफ से जंगम जोगी के ग्रुप, डेरू पार्टी के ग्रुप, नगाड़ा पार्टी के ग्रुप, बीन पार्टी के ग्रुप बुलाए गए है। इन सभी ग्रुपों के करीब 250 लोक कलाकार महोत्सव में पंहुचे हैं। ये सभी कलाकार सरोवर के चारों तटों पर घूम-घूम कर पर्यटकों का मनोरंजन करने का काम कर रहे हैं। इसके साथ-साथ ब्रह्मसरोवर पर नगाड़ा व बीन की पार्टियां घूम-घूम कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रही है।
एनजेडसीसी के अधिकारी जरनैल सिंह ने कहा कि इन पार्टियों के कलाकारों ने हरियाणा की लोक कला के परम्परागत वाद्ययंत्रों की धुनों से पूरे ब्रह्मसरोवर की फिजाओं का बदलने का काम किया है। इस महोत्सव में सारंगी पार्टी भी अपनी कला से पर्यटकों को भाव-विभोर कर रही है और अपनी सांरगी से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने का काम कर रही है। महोत्सव में आने वाले पर्यटकों में प्रस्तुतियों उपरांत कलाकारों के साथ फोटो खिंचवाने की भी एक होड़ से मच जाती है। पर्यटक ब्रह्मसरोवर के मनमोहन दृश्यों की फोटो अपने मोबाईल में कैद करके, उन्हें सोशल साइटस पर उड़ान भरने के लिए छोड़ देते है और फिर सोशल साइटस पर एक क्लिक में महोत्सव पहुंच जाता है विश्व के हर कोने तक। सोशल साइटस पर अपलोड होते ही शुरु होता है लाइक और कमेंट का दौर, जिससे महोत्सव के हर पहलू को मिलती है नई उड़ान और महोत्सव में ना पहुंचने वाले पर्यटक भी गीता महोत्सव से रुबरु हो सकते है।
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