गर्मियों के चलते प्रदेश के चरवाहे रोहतांग दर्रे का रूख कर लेते हं। चूंकि यह क्षेत्र ऊंचे चरागाहों के लिए जाना जाता है और गर्मियों में यहां हरी घास उगती है। इससे चरवाहों को अपने झुंडों को चराने के लिए एक उपयुक्त स्थान मिल जाता है।
गर्मियों के चलते प्रदेश के चरवाहे रोहतांग दर्रे का रूख कर लेते हं। चूंकि यह क्षेत्र ऊंचे चरागाहों के लिए जाना जाता है और गर्मियों में यहां हरी घास उगती है। इससे चरवाहों को अपने झुंडों को चराने के लिए एक उपयुक्त स्थान मिल जाता है।
खबर खास, कुल्लू :
गर्मियों के चलते प्रदेश के चरवाहे रोहतांग दर्रे का रूख कर लेते हं। चूंकि यह क्षेत्र ऊंचे चरागाहों के लिए जाना जाता है और गर्मियों में यहां हरी घास उगती है। इससे चरवाहों को अपने झुंडों को चराने के लिए एक उपयुक्त स्थान मिल जाता है।
रोहतांग दर्रा धौलाधार पहाड़ियों, छोटा और बड़ा भंगाल, लाहौल-स्पीति, किन्नौर और चंबा जिलों के ऊंचे चरागाहों की ओर जाने का एक मार्ग है और चरवाहे इन ऊंचे चरागाहों पर अपने झुंडों को चराने के लिए जाते हैं, क्योंकि वहां उन्हें और अधिक चारा मिल जाता है। इसके अलावा कुछ चरवाहे अपने झुंडों के साथ रोहतांग दर्रे से भी आगे लाहौल-स्पीति, किन्नौर और चंबा जिलों में स्थित ऊंचे चरागाहों की ओर जाते हैं. इन जिलों में भी गर्मियों में हरी घास उगती है, जो जानवरों के लिए चारे के रूप में काम करती है। कुल्लू के ऐसे ही कुछ चरवाहे अपने झुंड के साथ रोहतांग दर्रे की ऊंची चोटियों की ओर बढ़ते हुए।
फोटो : आक़िल खान
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