हरियाणा की धर्म नगरी कहे जाने वाले कुरुक्षेत्र के ब्रहमसरोवर पर 15 दिसंबर, 2024 तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ढोल-नगाड़ों, बीन-बांसुरी जैसे पारम्परिक वाद्य यंत्रों से गुंजायमान हो चुका है।
हरियाणा की धर्म नगरी कहे जाने वाले कुरुक्षेत्र के ब्रहमसरोवर पर 15 दिसंबर, 2024 तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ढोल-नगाड़ों, बीन-बांसुरी जैसे पारम्परिक वाद्य यंत्रों से गुंजायमान हो चुका है।
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा की धर्म नगरी कहे जाने वाले कुरुक्षेत्र के ब्रहमसरोवर पर 15 दिसंबर, 2024 तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ढोल-नगाड़ों, बीन-बांसुरी जैसे पारम्परिक वाद्य यंत्रों से गुंजायमान हो चुका है। देश के विभिन्न प्रांतों से आए कलाकारों के द्वारा दी जा रही प्रस्तुति जहां आकर्षण का केंद्र बन रही है, वहीं दूसरी ओर कलाकारों की मनमोहक अदाओं ने पर्यटकों का दिल जीत लिया है। इसके साथ-साथ खान पान की विभिन्न स्टॉल आकर्षण का केंद्र बन रही है।
महोत्सव में अबकी बार गीता महोत्सव में भागीदारी देश तंजानिया और भागीदारी राज्य ओडिशा के साथ-साथ मेजबान राज्य हरियाणा के पवेलियन पर्यटकों के लिए उत्साह का केंद्र बने हुए है। इसके साथ-साथ जनसंपर्क विभाग की राज्यस्तरीय प्रदर्शनी में पर्यटकों की भीड़ म्हारा हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा को चरितार्थ कर रही है। यहां पर पर्यटकों को सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों के साथ-साथ हरियाणा के इतिहास को जानने का मौका भी मिल रहा है। अलग अलग राज्यों से आए हुए शिल्पकारों ने अपनी कला के माध्यम से सभी का मन मोह लिया है, सभी अपने आप में अदभुत है। हर शिल्पकार की अपनी एक कला है, वो कला जो भारत देश के गौरवशाली इतिहास को बयान करती है। चाहे वो बनारसी साड़ी हो या राजस्थान का देसी खानपान, मुंबई की भेल हो या राजस्थान से आए कलाकार, हर कोई अपनी कला में माहिर है।
भारत की इस विरासत, शिल्पकारी, कलाकारी और संस्कृति को देखने के लिए देश-विदेश के लाखों पर्यटक हजारों किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के उपरांत अंतर्राष्टड्ढ्रीय गीता महोत्सव में पहुंच रहे है।
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