खबर खास, चंडीगढ़/नई दिल्ली :
' राज्य के साथ इस तरह का पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण व्यवहार अनुचित है।' यह कहना है पंजाब के सीएम भगवंत मान का। यहां नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से पंजाब के साथ सौतेले व्यवहार से संबंधित मुद्दों को उठाते हुए दोहराया कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।
मान ने कहा कि राज्य में पानी की गंभीर स्थिति को देखते हुए सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर के बजाय यमुना-सतलुज-लिंक (वाई.एस.एल.) नहर के निर्माण के विचार पर जोर दिया जाए। उन्होंने कहा कि रावी, ब्यास और सतलुज नदियों में पहले ही पानी कम है और अतिरिक्त पानी को कमी वाले बेसिनों की ओर मोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब ने बार-बार यमुना के पानी के बंटवारे के लिए बातचीत में शामिल होने की मांग की है क्योंकि यमुना-सतलुज-लिंक परियोजना के लिए 12 मार्च, 1954 को पुराने पंजाब और उत्तर प्रदेश के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें पुराने पंजाब को यमुना के पानी का दो-तिहाई हिस्सा हासिल करने का हकदार बनाया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समझौते में यमुना के पानी से सिंचाई के लिए किसी विशेष क्षेत्र को निर्दिष्ट नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि पुनर्गठन से पहले रावी और ब्यास नदियों की तरह यमुना नदी भी पुराने पंजाब राज्य से होकर बहती थी। उन्होंने दुख जताया कि पंजाब और हरियाणा के बीच नदी के पानी के बंटवारे के दौरान यमुना के पानी पर विचार नहीं किया गया, जबकि रावी और ब्यास के पानी को ठीक तरह से ध्यान में रखा गया था। भारत सरकार द्वारा गठित इरिगेशन कमीशन की 1972 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस रिपोर्ट के अनुसार पंजाब (1966 में पुनर्गठन के बाद) यमुना नदी बेसिन में आता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर हरियाणा का रावी और ब्यास नदियों के पानी पर दावा है, तो पंजाब का भी यमुना के पानी पर समान दावा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन मांगों को नजरअंदाज किया गया है और यमुना नदी पर भंडारण ढांचे के निर्माण न होने के कारण पानी बर्बाद हो रहा है। इसलिए मान ने अनुरोध किया कि इस समझौते की समीक्षा के दौरान पंजाब के दावे पर विचार किया जाए और पंजाब को यमुना के पानी पर उसका हक दिया जाए।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) के पक्षपातपूर्ण रवैये का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड का गठन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के तहत किया गया था, जिसका अधिकार भाखड़ा, नंगल और ब्यास परियोजनाओं से भागीदार राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ को पानी और बिजली की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि पंजाब ने पिछले समय में अपने पीने के पानी और अन्य आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए भागीदार राज्यों के साथ पानी साझा करने में बहुत उदारता दिखाई है क्योंकि पंजाब अपनी पानी की मांग को पूरा करने के लिए अपने भूजल भंडारों पर निर्भर करता था, खासकर धान की फसल के लिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप भूजल स्तर बहुत नीचे चला गया है, यहां तक कि पंजाब के 153 ब्लॉकों में से 115 ब्लॉक (76.10 प्रतिशत) अत्यधिक भूजल दोहन कर रहे हैं, जो देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब नहरी ढांचे को अपग्रेड करने के बाद भी पंजाब को अपनी पानी की जरूरत से कम पानी मिल रहा है और नदी के पानी में उसका हिस्सा भी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी बार-बार की मांग के बावजूद बी.बी.एम.बी. ने हरियाणा को पानी छोड़ने को नियंत्रित करने के लिए अन्य भागीदार राज्यों को सलाह देने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की और परिणामस्वरूप इसने 30 मार्च, 2025 तक अपने हिस्से का पूरा पानी उपयोग कर लिया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हरियाणा सरकार की मांग पर मानवीय आधार पर विचार करते हुए पीने के पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए पंजाब के हिस्से से 4000 क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया गया था, हालांकि हरियाणा को वास्तव में केवल 1700 क्यूसेक पानी की जरूरत थी।
बीबीएमबी ने पंजाब के हितों को किया नजरअंदाज
मुख्यमंत्री ने कहा कि बी.बी.एम.बी. ने पंजाब के हितों को नजरअंदाज किया और पंजाब द्वारा उठाए गए गंभीर आपत्तियों के बावजूद हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि यह कानून की भावना और प्रस्तावों के खिलाफ है क्योंकि बी.बी.एम.बी. ने पंजाब की सहमति के बिना पंजाब का पानी लेने का यह फैसला लिया है। साथ ही, बी.बी.एम.बी. को सलाह दी जानी चाहिए कि वह संयम बरते और कानून के प्रस्तावों के अनुसार काम करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बी.बी.एम.बी. को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी जानी चाहिए कि वित्तीय संसाधनों का तर्कसंगत उपयोग हो ताकि भागीदार राज्यों पर वित्तीय बोझ कम हो सके। उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में बी.बी.एम.बी. प्रशासनिक गतिविधियों में शामिल रहा है, जो पक्षपातपूर्ण और पंजाब के हितों के खिलाफ प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि बी.बी.एम.बी. में पंजाब के अधिकारियों को हाशिए पर धकेला जा रहा है और अनदेखा किया जा रहा है। इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि बी.बी.एम.बी. को दोनों राज्यों के साथ अपने व्यवहार में पारदर्शी और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाने की सलाह देना उचित होगा।
सीआईएसएफ को भाखड़ा नंगल बांध पर तैनात करना अनावश्यक कदम
भाखड़ा नंगल बांध पर सी.आई.एस.एफ. की तैनाती के मुद्दे को उजागर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भाखड़ा और नंगल बांधों की सुरक्षा उनके निर्माण से ही संबंधित राज्यों की जिम्मेदारी रही है। उन्होंने कहा कि बिजली मंत्रालय ने भाखड़ा नंगल बांधों की सुरक्षा के लिए सी.आई.एस.एफ. को तैनात करने का फैसला लिया है, जो एक अनावश्यक कदम है। उन्होंने अनुरोध किया कि सी.आई.एस.एफ. को तैनात करने के फैसले को तुरंत रद्द किया जाए।
चंडीगढ़ प्रशासन में 60:40 अनुपात पर मांगा प्रतिनिधित्व
चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाब के अधिकारियों को 60:40 के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद एक स्थापित व्यवस्था रही है, जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन में सभी सिविल पदों को पंजाब और हरियाणा से लिए गए कर्मचारियों से 60:40 के अनुपात में भरा जाना तय किया गया था।
शैक्षणिक सत्र 2017 से 2020 तक के अनुसूचित जाति के छात्रों का पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम का बकाया तुरंत हो जारी
अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के तहत बकाया राशि तुरंत जारी करने का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में देश भर में अनुसूचित जाति की आबादी का सबसे अधिक प्रतिशत (31.94 प्रतिशत) है और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम को 100 प्रतिशत केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए मानदंडों के अनुसार 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की अवधि के लिए राज्य सरकार की 'प्रतिबद्ध देनदारी' अचानक बढ़कर 800.31 करोड़ रुपके4 हो गई, जो 2016-2017 के 60.09 करोड़ रुपए से 13 गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा मानदंडों में अचानक बदलाव के परिणामस्वरूप एकत्रित हुई सारी देनदारी बहुत बड़ी है, जिसे अकेले राज्य सरकार नहीं भर सकती। इसलिए भगवंत सिंह मान ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि इस बैकलाॅग राशि 938.26 करोड़ रुपए (देनदारी का 60 प्रतिशत) को केंद्र द्वारा जारी किया जाए ताकि इस मामले को हल किया जा सके।
हरीके हेडवर्क्स की डी-सिल्टिंग के मुद्दे पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सतलुज और ब्यास नदियों के संगम बिंदु पर स्थित है और दक्षिण-पश्चिमी पंजाब, राजस्थान को पानी की आपूर्ति और पाकिस्तान में प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए मुख्य नियंत्रण बिंदु है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में जल भंडार में गाद/रेत के तलछट ने जल भंडार की क्षमता को बहुत कम कर दिया है और नहरों के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक पानी का प्रतिकूल प्रभाव अब कपूरथला जिले तक महसूस किया जा रहा है। मान ने कहा कि लगभग 600 करोड़ रुपए की लागत से जल भंडार की डी-सिल्टिंग की तत्काल जरूरत है।
विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण के साथ पंजाब की एकजुटता को दृढ़ता से व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब भी रंगीन पंजाब - एक गतिशील, सर्वांगीण और प्रगतिशील राज्य के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पंजाब ने विजन दस्तावेज-2047 तैयार किया है, जिसे हमने 2023 में लॉन्च किया था, जो विकसित भारत के उद्देश्य के साथ काफी मेल खाता है। उन्होंने कहा कि विकसित पंजाब के दृष्टिकोण को हासिल करने के लिए 8% या इससे अधिक वार्षिक जी.डी.पी. वृद्धि का लक्ष्य है, जो औद्योगिक विकास और विभिन्न सेवाओं को ध्यान में रखते हुए कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित रहेगा। उ
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी क्लीनिकों/आयुष्मान आरोग्य केंद्रों के माध्यम से नागरिकों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं दी जा रही हैं और इन केंद्रों के माध्यम से 3.34 करोड़ से अधिक मरीजों ने इलाज सेवाएं प्राप्त की हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क हादसों में कीमती मानव जीवन बचाने के लिए 2024 में सड़क सुरक्षा बल (एस.एस.एफ.) का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बल को 144 नए वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। इस पहल की शुरुआत के बाद मृत्यु दर में 10 प्रतिशत की कमी आई है और विभिन्न घटनाओं का शिकार हुए 30,000 से अधिक लोगों को इस बल द्वारा समय पर सहायता प्रदान की गई।
पंजाब शिक्षा क्रांति का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के प्रत्येक बच्चे को विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए 118 स्कूल ऑफ एमिनेंस, 437 स्कूल ऑफ हैप्पीनेस और 40 स्कूल ऑफ अप्लाइड लर्निंग की स्थापना की गई है।
धारा 293 के तहत ऋण सीमा में कटौती की एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ने करों के बंटवारे में सेस, सरचार्ज और चयनित गैर-कर राजस्व को शामिल करने की अपील की। उन्होंने वर्टिकल आधार पर बंटवारे को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा। सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष औद्योगिक पैकेज की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब की सीमा पाकिस्तान से लगती होने के कारण सीमावर्ती क्षेत्र में उद्योग को नुकसान हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्र की प्रगति के लिए बुनियादी ढांचा अनुदान की भी मांग की ताकि छह सीमावर्ती जिलों - अमृतसर, गुरदासपुर, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का और पठानकोट के व्यापक विकास को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति संवेदनशील होने के बावजूद सहायता की कमी है और 'गतिशील गांव योजना' के तहत केवल 101 गांव ही शामिल हैं। भगवंत सिंह मान ने ई.ओ.सी., ट्रॉमा सेंटर, बंकर, साइबर सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के लिए विशेष अनुदान की भी मांग की।
कांटेदार बाड़ और सीमा के बीच की जमीन वाले किसानों के लिए मुआवजे को बढ़ाने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने अपील की कि इसे वर्तमान 10,000 रुपए से बढ़ाकर 30,000 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष किया जाए। बॉर्डर विंग के होम गार्ड्स के दैनिक भत्ते को 45 रुपए से बढ़ाकर 655 रुपए करने की मांग जोरदार तरीके से रखते हुए उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा की दूसरी पंक्ति को मजबूत करने के लिए यह वृद्धि जरूरी है।
राज्य के लिए 2,829 करोड़ रुपये की अनुदान की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नशा तस्करी को रोकने और सीमावर्ती सुरक्षा को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इन फंडों का उपयोग बुनियादी ढांचे, जेलों की सुरक्षा, नशा छुड़ाऊ कार्यक्रमों और अन्य कार्यों के लिए किया जाएगा। 53,000 से अधिक गिरफ्तारियों और 3,579 किलोग्राम हेरोइन जब्त किए जाने का हवाला देते हुए भगवंत सिंह मान ने केंद्र सरकार से राज्य की 553 किलोमीटर लंबी सीमा पर ड्रोन का मुकाबला करने के लिए 50 अतिरिक्त जैमिंग सिस्टम स्थापित करने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने पंजाब की अर्थव्यवस्था को पुनर्जनन करने के लिए पंजाब से होकर गुजरने वाले दिल्ली-कटड़ा एक्सप्रेसवे के साथ आर्थिक कॉरिडोर विकसित करने का प्रस्ताव पेश किया, जो लुधियाना, जालंधर, कपूरथला, गुरदासपुर, पटियाला, संगरूर और मलेरकोटला से होकर गुजरेगा। उन्होंने कहा कि यह कॉरिडोर रणनीतिक, औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स हब के रूप में काम करेगा, प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ेगा और वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही को सुगम बनाएगा। भगवंत सिंह मान ने राज्य में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस.ई.जेड.) स्थापित करने की भी मांग की, जो इसके औद्योगिक वातावरण को बढ़ावा देने में योगदान देगा।
मुख्यमंत्री ने भारत माला प्रोजेक्ट कॉरिडोर के साथ ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब (जी.एम.एच.) की भी मांग की, जो संगरूर को दिल्ली से जोड़ता है और व्यवसायों को आकर्षित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा, सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करेगा। इसी तरह, उन्होंने मोहाली में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया के विस्तार की भी मांग की।
कृषि को लाभकारी पेशा बनाने के लिए फसल विविधीकरण की जोरदार वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने धान के स्थान पर मक्का के लिए 17,500 रुपए प्रति हेक्टेयर नकद प्रोत्साहन की मांग की। इसी तरह, बी.टी.-III कपास, मेटिंग डिसरप्शन तकनीकों पर सब्सिडी और एग्रो-प्रोसेसिंग यूनिट की सहायता के लिए स्वीकृति की मांग की। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य के किसानों को उनकी आय बढ़ाकर मौजूदा कृषि संकट से बाहर निकालना समय की जरूरत है। उन्होंने स्टॉक लिफ्टिंग, गोदामों की क्षमता विस्तार और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के आवंटन को 5 किलोग्राम से बढ़ाकर 7 किलोग्राम करने की मांग की।
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