राष्ट्रीय लोक अदालत में एक परिवार फिर से जुड़ा, 18 सालों से अधिक के वैवाहिक विवाद का हुआ सौहार्दपूर्ण निपटारा
राष्ट्रीय लोक अदालत में एक परिवार फिर से जुड़ा, 18 सालों से अधिक के वैवाहिक विवाद का हुआ सौहार्दपूर्ण निपटारा
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (हालसा) द्वारा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की न्यायाधीश एवं हालसा की कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति लिसा गिल के मार्गदर्शन में वर्ष की चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया।
लोक अदालत हरियाणा के सभी 22 जिलों और 35 उपमंडलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से आयोजित की गई। आज की लोक अदालत में, पूर्व-लोक अदालत बैठकों सहित कुल 5,53,741 मामलों का निपटारा हुआ, जो सुलभ और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए हालसा और न्यायपालिका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय लोक अदालत में मध्यस्थता के माध्यम से एक संतोषजनक परिणाम सामने आया, जिसमें 18 वर्षों से अधिक के अलगाव के बाद एक पति-पत्नी का पुनर्मिलन हुआ और एक लंबे वैवाहिक विवाद का सौहार्दपूर्ण और गरिमापूर्ण समाधान हुआ। इनका विवाह 4 दिसंबर 2001 को हुआ था। वैवाहिक कलह के कारण, यह दंपति 5 जुलाई 2008 को अलग हो गए थे। वर्षों से सुलह के कई प्रयासों के बावजूद, विवाद अनसुलझा रहा, जिसके परिणामस्वरूप अंततः मुकदमा दायर करना पड़ा। राष्ट्रीय लोक अदालत की पीठासीन अधिकारी-एवं-अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश पूनम कंवर, परिवार न्यायालय, गुरुग्राम और कानूनी सहायता सदस्य अलरीना सेनापति की अध्यक्षता में आयोजित मध्यस्थता सत्र के दौरान, दोनों पक्षों ने रचनात्मक संवाद किया। प्रभावी मध्यस्थता के परिणामस्वरूप, उनके बीच सभी विवाद सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझ गए और वे अपने वैवाहिक जीवन को पुनः आरंभ करने के लिए सहमत हो गए।
नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा से संबंधित पांच साल पुराने विवाद का भी हुआ निपटारा
राष्ट्रीय लोक अदालत में कुरुक्षेत्र परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश विवेक सिंघल द्वारा एक नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा से संबंधित पांच साल पुराने अभिरक्षा विवाद का सौहार्दपूर्ण ढंग से समाधान किया गया। अभिभावक एवं आश्रित अधिनियम (जी.डब्ल्यू-24-2020) के तहत दायर याचिका, जिसमें दादी ने अपने नाबालिग पोते की अभिरक्षा की मांग की थी, न्यायालय द्वारा प्रभावी परामर्श और हस्तक्षेप के बाद सुलझाई गई। नाबालिग बच्चे, उसकी मां और दादी से बातचीत करने और बच्चे के कल्याण को सर्वोपरि मानते हुए, पक्षों ने 12 दिसंबर 2025 को पूर्व-लोक अदालत में आपसी सहमति से समझौता किया। समझौते के अनुसार, नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा मां के पास रहेगी, जबकि दादी को न्यायालय परिसर में मासिक मुलाकात का अधिकार दिया गया है।
हरियाणा के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्षों एवं सचिवों तथा लोक अदालत के पीठासीन अधिकारियों के साथ 10 दिसंबर 2025 को आयोजित व्यापक समीक्षा बैठक के दौरान, न्यायमूर्ति लिसा गिल ने प्रभावी मुकदमों के निपटारे के लिए निष्ठापूर्वक, समन्वित और सक्रिय प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पक्षकारों के मध्य उत्पन्न विवादों को शीघ्र, निष्पक्ष और पारस्परिक सहमति से सुलझाने के लिए मध्यस्थता को एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उपयोग करने का आग्रह किया था।
न्यायमूर्ति गिल ने लोक अदालत की पीठों को राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिकतम मामलों के निपटारे को सुनिश्चित करने के लिए अपनी उच्चतम स्तर की प्रतिबद्धता और दक्षता प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे सभी के लिए सुलभ और किफायती न्याय के उद्देश्य को आगे बढ़ाया जा सके।
राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन, हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-एवं-सदस्य सचिव जगदीप सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हरियाणा राज्यभर में आयोजित लोक अदालतों के कामकाज की बारीकी से निगरानी की। उन्होंने पंचकुला के जिला न्यायालय में आयोजित लोक अदालत पीठों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण किया और पक्षकारों से बातचीत करते हुए लोक अदालत पीठों की कार्यवाही की समीक्षा की।
विभिन्न न्यायालयों में वाद पूर्व और लंबित मामलों की सुनवाई के लिए कुल 192 पीठों का गठन किया गया था, जिनमें दीवानी विवाद, वैवाहिक मामले, मोटर दुर्घटना से संबंधित मामलें, बैंक वसूली मुकदमे, चैक बाउंस मामले, वाहन चालान, समझौता योग्य आपराधिक मामले और स्थायी लोक अदालतों (सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं) के समक्ष मामले जैसे व्यापक विषय शामिल थे।
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