विश्व के विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे। उन्होंने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में आज आखिरी सांस ली।
विश्व के विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे। उन्होंने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में आज आखिरी सांस ली।
खबर खास, सैन फ्रांसिस्को (अमेरिका) :
विश्व के विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे। उन्होंने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में सोमवार को आखिरी सांस ली। उनके निधन की परिवार ने पुष्टि भी की है।
उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उन्हें1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था।
तीन ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित दिवंगत जाकिर हुसैन के पिता अल्लाह रक्खा भी विख्यात तबला वादक थे। जाकिर में कम उम्र में ही संगीत के प्रति प्रतिभा के चलते उन्होंने पिता के मार्गदर्शन में एक अन्य शास्त्रीय ताल वाद्य यंत्र मृदंगम सीखना शुरू किया और 12 साल की उम्र तक, वह पहले से ही संगीत कार्यक्रमों में प्रदर्शन करने लगे थे।
जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था। 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम 'लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड' लॉन्च किया था। ज़ाकिर हुसैन भारत के सबसे सम्मानित संगीतकारों में से एक थे। उन्होंने विश्व स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई प्रमुख पश्चिमी संगीतकारों के साथ सहयोग किया, जिसमें प्रसिद्ध बीटल्स के साथ एक प्रतिष्ठित साझेदारी भी शामिल थी।
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