निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई प्रतिष्ठान फ्लेवर, हर्बल या नो-निकोटीन के नाम पर हुक्का परोस रहे थे।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई प्रतिष्ठान फ्लेवर, हर्बल या नो-निकोटीन के नाम पर हुक्का परोस रहे थे।
खबर खास, शिमला :
तंबाकू मुक्त युवा अभियान 3.0 जिसका शुभारंभ सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 13 अक्तूबर को किया था, के तहत राज्य फ्लाइंग स्क्वाड ने शिमला के प्रमुख कैफे और रेस्तरां में अवैध हुक्का परोसन के खिलाफ संयुक्त प्रवर्तन अभियान चलाया। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियम, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, आबकारी एवं कराधान और पुलिस की टीमें शामिल रहीं।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई प्रतिष्ठान फ्लेवर, हर्बल या नो-निकोटीन के नाम पर हुक्का परोस रहे थे। बड़ी संख्या में जब्त किए गए पैक्टों पर तंबाकू और निकोटीन स्पष्ट रूप से अंकित था, लेकिन बावजूद इसके कई पैक्टों पर अनिवार्य वैधनिक स्वास्थ्य चेतावनियां नहीं लिखी थीं, जो COPTA, 2003 की धारा 7 का गंभीर उल्लंघन है। संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कर जब्त की सामग्री को अदालत में पेश किया गया।
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डा.रविंदर कुमार ने बताया कि राज्य के विभिन्न शहरों में हुक्का बारों का, विशेषकर युवाओं और नाबालिगों में चलन तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि 45 मिनट का हुक्के का सत्र 100 सिगरेट के धुंऐ के बराबर हो सकता है। उन्होंने कहा कि WHO हुक्के को एक अत्याधिक लत लगने वाला प्रदार्थ मानता है जिसमें निकोटीन या मोलासेस व विभिन्न फ्लेवरिंग पदार्थ बड़ी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न करते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक हैं।
उन्होंने बताया कि अधिक गहराई और लंबे समय तक इस धुएं को खींचने से कैंसरीजनक धुए के संपर्क में बढ़ौतरी होती है। उन्होंने कहा कि एक हुक्का सत्र एक सिगरेट की तुलना में 25 गुना अधिक टार शरीर में प्रवेश कर सकता है। जबकि इसका पाइप साझा करने से टीबी, हेपेटाइटिसएवं हर्पीज जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
तंबाकू उत्पादों के उपयोग से संबंधित कानूनों का प्रवर्तन और अधिक किया जाएगा सख्त :प्रदीप कुमार
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के हिमाचल में निदेशक आईएएस प्रदीप कुमार ठाुर ने कहा कि यह कार्रवाई युवाओं में बढ़ती हुक्के की प्रवृत्ति को रोकने के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा कि हर्बल, नो-निकोटीन या नो-टोबैको के नाम पर बेचे जाने वाले उत्पाद भ्रामक और समान रूप से हानिकारक हैं और उन पर COPTA के सभी प्रावधान पूर्ण रूप से लागू होते हैं।
उन्होंने बताया कि कुल्लू के कसोल, मनाली, शिमला, धर्मशाला और सोलन जिलों से अवैध हुक्का परोसे जाने की शिकायतें लगातार मिल रहीं थी। उन्होने कहा कि राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर तीन स्तरीय फ्लाइंग स्क्वाड प्रणाली के माध्यम से निगरानी एवं प्रवर्तन को और अधिक मजबूत किया जाएगा।
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