हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि नहरी पानी का न्यायोचित बंटवारा व हर टेल तक पानी पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है, इसके लिए प्रदेश की सभी नहरों, नालों व रजबाहों की रिमॉडलिंग व रिहैबिलिटेशन की योजना तैयार की जाए।
हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि नहरी पानी का न्यायोचित बंटवारा व हर टेल तक पानी पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है, इसके लिए प्रदेश की सभी नहरों, नालों व रजबाहों की रिमॉडलिंग व रिहैबिलिटेशन की योजना तैयार की जाए।
कैबिनेट मंत्री श्रुति चौधरी ने अधिकारियों को दिए निर्देश
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि नहरी पानी का न्यायोचित बंटवारा व हर टेल तक पानी पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है, इसके लिए प्रदेश की सभी नहरों, नालों व रजबाहों की रिमॉडलिंग व रिहैबिलिटेशन की योजना तैयार की जाए। इसके अलावा नहरों में सतह पर गाद व खरपतवार साफ करने का भी अभियान चलाया जाए, जिन मामलों में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की अनुमति की आवश्यकता होगी। इसके लिए केंद्रीय मंत्रालय को अर्ध सरकारी पत्र लिखने के भी निर्देश दिए।
श्रीमती चौधरी आज यहां अपने कार्यालय में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ प्रदेश के नहरी तंत्र की रूपरेखा की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता कर रही थी।
उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह से वे फिल्ड में तैनात सभी अधीक्षक अभियंताओं व एसडीओ के साथ नियमित आधार पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के साथ बातचीत करेंगी ताकि धरातल पर समस्याओं की जानकारी व फीडबैक लिया जा सके। उन्होंने कहा कि विभाग की विजिलेंस विंग को और अधिक सक्रिय किया जाए। उन्होंने हरियाणा राज्य प्रवर्तन ब्यूरो के अधिकारियों के साथ भी तालमेल बढ़ाने के निर्देश दिए। जहां पर नहरों की रिमॉडलिंग व रिहैबिलिटेशन का निर्माण कार्य चल रहा है वहां गुणवता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा और विभाग के मैन्यूल कोड के अनुसार निर्माण सामग्री की नियमित सैपलिंग ली जाए और उसकी लैब में जाच करवाई जाए।
बैठक में मंत्री को जानकारी दी गई थी रिमॉडलिंग में पूरी नहर का पुर्ननिर्माण होता है जबकि रिहैबिलिटेशन में बड़ा बदलाव नहीं होता, बल्कि विशेष मरम्मत की जाती है।
मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य की सभी नहरों को इंटरलिंक करने के लिए एक ठोस प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिससे पानी की उपलब्धता में बढ़ोतरी तो होगी ही, वहीं भू-जल रिचार्ज में भी सुधार होगा।
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