कहा, प्रदेश ने अपने संसाधनों से 26,683 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जो पिछली सरकार के औसत राजस्व से 3,800 करोड़ रुपये अधिक है।
कहा, प्रदेश ने अपने संसाधनों से 26,683 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जो पिछली सरकार के औसत राजस्व से 3,800 करोड़ रुपये अधिक है।
खबर खास,शिमला:
'सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक राज्य को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाना और वर्ष 2032 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाना है।' यह कहना है सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने अपने संसाधनों से 26,683 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जो पिछली सरकार के औसत राजस्व से 3,800 करोड़ रुपये अधिक है।
उन्होंने बताया कि सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार ने शराब के ठेकों के लिए नीलामी-सह-निविदा प्रणाली लागू की, जिससे 5,408 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल में यह आय केवल 1,114 करोड़ रुपये थी। भाजपा सरकार ने ठेकों की नीलामी नहीं की और केवल लाइसेंस शुल्क में 10 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ नवीनीकरण की नीति अपनाई। ठेकों की नीलामी से राज्य कोष में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो भाजपा शासनकाल में कभी देखने को नहीं मिली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार की तमाम अव्यवस्थाओं के बोझ तले दबा हिमाचल अपनी दयनीय हालत पर सिसक रहा था। पूर्व भाजपा सरकार अपने वित्तीय कुप्रबंधन के कारण वर्तमान कांग्रेस सरकार पर 75,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज और 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की कर्मचारियों की देनदारियों के रूप में छोड़ गई थीं। केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उनके राजस्व और व्यय के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए हर वर्ष राजस्व घाटा अनुदान प्रदान किया जाता है, परन्तु प्रदेश सरकार के लिए यह क्षोभ का विषय है कि हिमाचल को मिलने वाले इस अनुदान को केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 में घटाकर 3,256 करोड़ तक सीमित कर दिया जबकि 2021-22 में यह अनुदान 10,249 करोड़ रुपये था। वर्तमान सरकार को विरासत में मिले कर्ज को चुकाने के लिए लगभग 70 प्रतिशत आय का वहन करना पड़ रहा है, जिसमें 12,266 करोड़ रुपये ब्याज और 8,087 करोड़ रुपये मूलधन शामिल हैं। अब तक सरकार द्वारा लिए गए 29,046 करोड़ रुपये के ऋण में से केवल 8,693 करोड़ रुपये ही विकास कार्यों के लिए उपलब्ध हो पाए हैं।
उन्होंने कहा कि वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति के स्वामित्व को लेकर 23 वर्षों से चली आ रही लंबी क़ानूनी लड़ाई का सकारात्मक परिणाम अक्तूबर 2025 में उच्च न्यायालय के फ़ैसले के रूप में सामने आया। अदालत ने मशोबरा रिसॉर्ट्स लिमिटेड (एमआरएल) के स्वामित्व अधिकार राज्य सरकार को सौंपा। इस फ़ैसले से राज्य को लगभग 401 करोड़ रुपये का वित्तीय लाभ मिला है, जिसमें 320 करोड़ रुपये की बैंक जमा और शेयर होल्डिंग्स शामिल हैं। इससे राज्य को प्रतिवर्ष 20 करोड़ रुपये से अधिक की आय भी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों से 1,000 मेगावाट कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना में राज्य को मिलने वाली रॉयल्टी 12 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई है। सर्वाेच्च न्यायालय ने जेएसडब्ल्यू एनर्जी को 18 प्रतिशत रॉयल्टी देने के निर्देश दिए हैं, जिससे राज्य को प्रतिवर्ष 150 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रमुख परियोजनाओं, विशेषकर जलविद्युत् परियोजनाओं के लिए भूमि पट्टे की अवधि को 99 वर्षों से घटाकर 40 वर्ष कर दिया है, ताकि राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त हो सके। 40 वर्षों के बाद 66 मेगावाट धौलासिद्ध, 210 मेगावाट लुहरी चरण-1 और 382 मेगावाट सुन्नी जलविद्युत् परियोजनाएं राज्य को वापस मिलेंगी, जिससे प्रदेश की आय में और वृद्धि होगी। राज्य सरकार जोगिंदरनगर स्थित शानन जलविद्युत् परियोजना के स्वामित्व के लिए भी प्रयासरत है, जिसका 99 वर्षीय पट्टा मार्च 2024 में समाप्त हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ की भूमि और परिसंपत्तियों में राज्य के वैध 7.19 प्रतिशत हिस्से को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत सर्वाेच्च न्यायालय ने वर्ष 2011 में हिमाचल प्रदेश के इस अधिकार को मान्यता दी है। इसके साथ ही बीबीएमबी से लंबित ऊर्जा बकाया राशि की वसूली के लिए भी राज्य सरकार सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों, जिनमें विधायक भी शामिल हैं, को हिमाचल भवन और राज्य अतिथि गृहों में सामान्य दरों पर किराया देना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा निविदा प्रक्रिया की समय-सीमा 51 दिनों से घटाकर 30 दिन कर दी गई है। ऐसे अनेक निर्णय लिए गए हैं, जिनका उद्देश्य मौजूदा संसाधनों से आय बढ़ाना है।
सुक्खू ने कहा कि इन सभी पहलों से स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक राज्य को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाना और वर्ष 2032 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाना है, जिसके लिए आर्थिक सुधारों, हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने और राज्य के कर्ज के प्रभावी प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है
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