विधायी प्रारूपण तैयार करने में दक्ष हों अधिकारी व कर्मचारी
विधायी प्रारूपण तैयार करने में दक्ष हों अधिकारी व कर्मचारी
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के राज्यपाल प्रो. अशीम कुमार घोष ने कहा कि कानून लोकतंत्र की रीढ़ है, लेकिन इसकी असली ताकत इस बात में निहित है कि इसे कितनी स्पष्टता और प्रभावी ढंग से तैयार किया जाता है। विधायी प्रारूपण केवल शब्दों को कागज़ पर उतारना नहीं है, बल्कि यह न्याय को जीवंत व शासन को सुदृढ़ करने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के बारे में है। एक अच्छी तरह से तैयार किया गया कानून स्पष्टता, एकरूपता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
राज्यपाल आज हरियाणा विधानसभा व लोकसभा की संविधान एवं संसदीय अध्ययन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में विधायी प्रारूपों एवं संवर्धन विषय पर हरियाणा विधानसभा व अन्य विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए आयोजित दो दिवषीय प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि विधायी प्रारूपण भी एक लोकतांत्रिक ज़िम्मेदारी है। एक चुना हुआ जनप्रतिनिधि (विधायक) जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं, विधायी प्रारूपण को तैयार करने में लगे अधिकारी व कर्मचारी भी अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए उनमें दक्षता व कौशलता होनी चाहिए, तभी एक सधा हुआ कानून बनता है जो कि राजनीतिक दृष्टि और व्यावहारिक शासन के बीच सेतु का काम करता है। उनकी भूमिका के लिए न केवल कानूनी विशेषज्ञता बल्कि नैतिक संवेदनशीलता की भी आवश्यकता होती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कानून की भाषा न्याय, समानता और संवैधानिक मूल्यों को मूर्त रूप दे।
उन्होंने कहा कि हर नीति, चाहे उसका उद्देश्य कितना भी नेक क्यों न हो, उतनी ही प्रभावी होती है जितना कि उसे लागू करने वाला कानून। विधायी प्रारूपण यह निर्धारित करता है कि कोई नीतिगत वादा ज़मीनी स्तर पर वास्तविक बदलाव लाएगा या नहीं।
राज्यपाल ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते उसके कानून भी लोगों की भलाई को ध्यान में रखकर बनाने चाहिए। बेहतर विधायी प्रारूपण के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों में न केवल भाषा और कानून में निपुणता होनी चाहिए, बल्कि अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, प्रौद्योगिकी और मानव व्यवहार की समझ भी आवश्यक होनी चाहिए। किसी भी देश में प्रारूपण की गुणवत्ता में सुधार के लिए निरंतर प्रशिक्षण, विभिन्न विषयों में अध्ययन और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम न्याय और निष्पक्षता से संचालित समाज की आकांक्षा और प्रयास करते हैं और उसी तरह से हमें मसौदा तैयार करने की कला में निवेश करना होगा। हमारे कानूनों की गुणवत्ता हमारे लोकतंत्र की गुणवत्ता को दर्शाती है। स्पष्ट मसौदा तैयार करने से स्पष्ट न्याय प्राप्त होता है और स्पष्ट न्याय एक अधिक मजबूत, अधिक लचीला और समावेशी राष्ट्र का निर्माण करता है।
विधायी प्रारूपण तैयार करना लोकतंत्र की है श्रेष्ठतम सेवा: हरविंद्र कल्याण
हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष श्री हरविंद्र कल्याण ने अपने संबोधन में कहा कि विधायी प्रारूपण कानून की आत्मा है। यह लोकतंत्र की श्रेष्ठतम सेवा है। व्यक्ति का कोई भी पद या पावर ज्ञान के कारण ही लोगों के काम आता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन और गृह मंत्री अमित शाह की पहल थी कि विधायी प्रारूपण के लिए अनुभवी व ज्ञानी लोगों की टीम तैयार की जाए, ताकि वे लोकहित में सरल भाषा में कानून बनाने में योगदान दे सके।
उन्होंने राज्यपाल को इस बात से अवगत कराया कि हरियाणा विधानसभा देश की ऐसी पहली विधानसभा है, जिसमें विधायी प्रारूपण के लिए अपने सचिवालय व अन्य विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए विधायी प्रारूपण पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया है। उन्होंने बताया कि लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया था। श्री बिरला हरियाणा की 15वीं विधानसभा गठन के बाद पिछले एक साल में चार बार हरियाणा विधानसभा के लिए दौरा कर चुके हैं।
विधायी प्रारूपण प्रशिक्षण लोकतंत्र में आम जन के लिए कानून तैयार करने में होता है उपयोगी- प्रो. राम शिंदे
महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे ने कहा कि विधायी प्रारूपण प्रशिक्षण एक अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम होता है, जिसकी भाषा व शैली लोकतंत्र में आम जन के लिए कानून तैयार करने में उपयोगी होती है और यह समाज को नई दिशा देने का काम करती है।
उन्होंने कहा कि अच्छा कानून विधायिका व कार्यपालिका को और मजबूत करने का काम करता है। विधायी प्रारूपण केवल नीति प्रक्रिया ही नहीं है बल्कि इसे कला और विज्ञान भी कहा गया है। विधायी प्रारूपण तैयार करने में कुशल कार्यबल की भाषा स्पष्ट, स्टीक व सरल होनी चाहिए।
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