इस पहल के तहत प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में आशातीत सुधारों के लिए 606.70 करोड़ रुपये व्यय करेगी, जिनमें से 207.50 करोड़ रुपये विशेष रूप से प्रदेशभर में डायग्नोस्टिक सेवाओं को सुदृढ़ करने पर खर्च होंगे।
इस पहल के तहत प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में आशातीत सुधारों के लिए 606.70 करोड़ रुपये व्यय करेगी, जिनमें से 207.50 करोड़ रुपये विशेष रूप से प्रदेशभर में डायग्नोस्टिक सेवाओं को सुदृढ़ करने पर खर्च होंगे।
खबर खास, शिमला :
राज्य सरकार व्यवस्था परिवर्तन के तहत केन्द्रित पहलों से प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्रों को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। इन प्रयासों के तहत राजकीय स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से प्रदेशवासियों को विश्वस्तरीय एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की ओर कदम उठाए जा रहे हैं।
इस पहल के तहत प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में आशातीत सुधारों के लिए 606.70 करोड़ रुपये व्यय करेगी, जिनमें से 207.50 करोड़ रुपये विशेष रूप से प्रदेशभर में डायग्नोस्टिक सेवाओं को सुदृढ़ करने पर खर्च होंगे।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशों पर स्वास्थ्य विभाग ने डायग्नोस्टिक सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए विस्तृत ब्लूप्रिंट तैयार किया है। यह कदम इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सटीक डायग्नोसिस करवाने के लिए कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
प्रदेश के अधिकतम चिकित्सा महाविद्यालयों एवं अस्पतालों में डायग्नोस्टिक मशीनें 15 से 20 वर्ष पुरानी हैं। यह पुरानी मशीनें चिकित्सकों को मरीजों में बीमारियों को सटीक तरह से जांचने के लिए बाधित करती हैं। चिकित्सा प्रौद्योगिकी में हुए आधुनिकीकरण के चलते वर्तमान में और अधिक प्रभावी मशीनें उपलब्ध हैं जिनके माध्यम से मरीजों को सटीक एवं शीघ्र उपचार सुविधा प्रदान की जा सकती है। इन चुनौतियों पर पार पाने के लिए मुख्यमंत्री ने अस्पतलों में पुरानी मशीनों को नए आधुनिक उपकरणों से बदलने के निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार के प्रस्ताव के तहत आईजीएमसी शिमला, श्री लाल बहादुर शास्त्री राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय मंडी, डॉ. यशवंत सिंह परमार राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय नाहन, राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय चम्बा तथा एआईएमएसएस चमियाना, शिमला में हाई-रेजोल्यूशन 1.5 टेसला और 3 टेसला एमआरआई मशीनें स्थापित की जाएंगी।
इसके अलावा, राज्य के सभी सात मेडिकल कॉलेजों में से प्रत्येक को दो अत्याधुनिक सीटी इमेजिंग मशीनें, पांच मोबाइल डिजिटल रेडियोग्राफी (डीआर) इकाइयां, दो सीलिंग-सस्पेंडेड डीआर एक्स-रे मशीनें, कलर डॉपलर के साथ दो उच्च-स्तरीय अल्ट्रासाउंड मशीनें, एक मैमोग्राफी यूनिट और एक पिक्चर आर्काइविंग एंड कम्युनिकेशन सिस्टम (पीएसीएस) प्रदान किया जाएगा। मरीजों की सुविधा के लिए शिमला के कमला नेहरू अस्पताल में भी एक पीएसीएस यूनिट स्थापित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त प्रत्येक मेडिकल कॉलेज को चार पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनें और एक रेडियोलॉजी वर्कस्टेशन मिलेगा, जो 3डी सॉफ्टवेयर से लैस होगा। इन अत्याधुनिक उपकरणों से स्वास्थ्य संस्थानों की क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार होगा और इन संस्थानों में मरीजों को शीघ्र, सटीक और विश्वसनीय स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं सुनिश्चित होंगी।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश के अधिकतम स्वास्थ्य संस्थान डायग्नोस्टिक और सर्जिकल सुविधाओं में उपयुक्त उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्रस्ताव में 14 प्रमुख क्षेत्रों पर बल दिया है, जिनमें सिम्यूलेशन-आधारित प्रशिक्षण, कैंसर देखभाल, डिजिटल स्वास्थ्य और क्रिटिकल देखभाल आदि शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का उद्देश्य प्रदेश के भीतर ही रोगियों को बेहतर देखभाल प्रदान करना है, ताकि उन्हें अब राज्य के बाहर विशेष उपचार की तलाश न करनी पड़े। इसके अतिरिक्त, यह पहल चिकित्सा शिक्षा को भी मजबूत बनाएगी, जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
Like
Dislike
Love
Angry
Sad
Funny
Wow
Comments 0