इनमें दो आरोपी यूपी के गोरखपुर व दो कुरुक्षेत्र व फतेहाबाद के हैं रहने वाले, आरोपियों में एक महिला भी है शामिल
इनमें दो आरोपी यूपी के गोरखपुर व दो कुरुक्षेत्र व फतेहाबाद के हैं रहने वाले, आरोपियों में एक महिला भी है शामिल
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाण में कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट यानि सीईटी के रजिस्ट्रेशन के लिए फर्जी पोर्टल बनाने वाले मास्टरमाइंड समेत छह आरोपियों को पंचकूला पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनमें तीन आरोपी यूपी के के गोरखपुर व दो कुरुक्षेत्र व फतेहाबाद के रहने वाले हैं। आरोपियों में एक महिला भी शामिल है।
हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के सदस्य भूपेंद्र चौहान ने बताया कि 4 जून को फर्जी पोर्टल बनाने की सूचना मिली थी। हमने तुरंत सेक्टर-20 स्थित साइबर थाने में इसकी शिकायत दी। पोर्टल पर जो क्यूआर कोड था, वह भी साथ में बंद कर दिया गया है। साथ ही उस बैंक अकाउंट को भी फ्रीज कर दिया गया है। कोई उसमें से पैसे नहीं निकलवा पाएगा।
इस मामले में डीसीपी सृष्टि गुप्ता ने बताया कि आरोपियों की उम्र 25 से 40 वर्ष के बीच है। ठगों ने 29 मई को सीईटी का फर्जी पोर्टल बनाया था। पोर्टल पर छात्रों से कुछ जरूरी जानकारी लेकर फीस जमा करवाई और रजिस्ट्रेशन दिखा दिया। इन्होंने 77 लोगों से 22 हजार रुपए ठगे। 14 लाख के फर्जीवाड़े वाली बात गलत है। उन्होंने कहा कि अक्सर ऐसे पोर्टल गलत जानकारी देते हैं कि इतने लाख लोग यहां विजिट कर चुके हैं, ताकि गूगल सर्चिंग में आ जाएं। पुलिस जांच कर रही है कि आरोपियों ने पहली बार इस तरह की ठगी की है या ये लोग किसी गैंग के साथ मिलकर काम कर रहे थे।
जांच में सामने आया है कि पोर्टल गोरखपुर से ही ऑपरेट हो रहा था। आरोपियों ने 77 लोगों से 22 हजार रुपए की ठगी की है। पुलिस ने पोर्टल और उससे संबंधित बैंक अकाउंट फ्रीज करा दिए हैं। पुलिस ने अभी आरोपियों की पहचान नहीं बताई है। उनसे पूछताछ की जा रही है।
दरअसल आरोपियों ने फर्जी पोर्टल बिलकुल एचएसएससी की ऑफिशियल वेबसाइट की तरह ही डिजाइन किया था। इसके पहले स्टेप में ही फीस भरने का ऑप्शन दिया गया था और वह भी बिलकुल एचएसएससी से मेल खाता था।
फर्जी साइट बनने के 3-4 दिन बाद इसका खुलासा हुआ। अभ्यर्थियों में फॉर्म भरने के बाद आपस में चर्चा हुई कि कुछ की फीस आवेदन करने से पहले कट गई, जबकि कुछ की बाद में। इस असमानता को देखकर उनमें भ्रम पैदा हो गया। उन्होंने आपस में बातचीत की और कमीशन को ट्वीट या हेल्पलाइन नंबर पर मैसेज कर सूचना दी, जिसके बाद इस मामले का पता चला।
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