रिश्वत मामले में फंसे हरियाणा के तहसीलदार मंजीत मलिक को प्रदेश सरकार ने निलंबित कर दिया है। गुरुवार को सरकार ने इसको लेकर ऑर्डर जारी किया। मंजीत को अंबाला उपायुक्त कार्यालय में अटैच किया गया है।
रिश्वत मामले में फंसे हरियाणा के तहसीलदार मंजीत मलिक को प्रदेश सरकार ने निलंबित कर दिया है। गुरुवार को सरकार ने इसको लेकर ऑर्डर जारी किया। मंजीत को अंबाला उपायुक्त कार्यालय में अटैच किया गया है।
रिश्वत मामले में चार महीने से था फरार
खबर खास, चंडीगढ़ :
रिश्वत मामले में फंसे हरियाणा के तहसीलदार मंजीत मलिक को प्रदेश सरकार ने निलंबित कर दिया है। गुरुवार को सरकार ने इसको लेकर ऑर्डर जारी किया। मंजीत को अंबाला उपायुक्त कार्यालय में अटैच किया गया है। रिश्वतखोरी के एक मामले में वह चार महीने से फरार है और उसे इनामी तक घोषित किया जा चुका है।
इससे पहले मंजीत का ट्रांसफर कैथल के गुहला से मंत्री श्रुति चौधरी के विधानसभा क्षेत्र तोशाम में कर दिया गया था। फरवरी महीने में मलिक पर एसीबी ने भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था। एसीबी ने छापा मारकर कर क्लर्क को पकड़ा था, लेकिन इसकी भनक लगते ही तहसीलदार फरार हो गया। तब उसकी डयूटी नप चुनाव में बतौर असिस्टेंट रिटर्निंग अधिकारी लगी थी, पर वह उसे बीच में ही छोड़कर भाग निकला था। तभी से वह भूमिगत है।
गौर रहे कि कैथल के चीका के वार्ड-3 के रहने वाले विजय कुमार ने एसीबी तक पहुंच बनाकर शिकायत दी थी कि वह चीका के अपने एक प्लाट की रजिस्ट्री अपनी भाभी के नाम पर करवाना चाहता था। इसके लिए सारे कागजात तैयार कर जब वह अपनी भाभी के साथ वहां रजिस्ट्री क्लर्क प्रदीप कुमार से मिला तो उसने कहा कि तहसीलदार से मिलो। वह तहसीलदार के पास गया तो उसने क्लर्क प्रदीप को कहा कि कागजात ठीक हैं। जिसके बाद क्लर्क ने दस हजार रुपए रिश्वत मांगे। जब उसने तहसीलदार से इस बारे में बात की तो तहसीलदार भड़क गया और बिना कोई कारण बताए उसका रजिस्ट्री का टोकन रद्द कर दिया।
विजय के मुताबिक दोबारा वह जब खेवट से संबंधित कागजात जांच कर दोबार तहसीलदार कार्यालय पहुंचे तो तहसीलदार ने दोबारा उसी क्लक से मिलने को कहा। क्लर्क ने दोबारा रजिस्ट्री की एवज में दस हजार रुपए रिश्वत मांगी। जिसके बाद उन्होंने एसीबी को शिकायत दी।
विवादों में रहा है उक्त तहसीलदार
रिश्वत कांड से पहले भी आरोपी तहसीलदार मंजीत विवादों में रहा। बीते साल गुहला में ट्रांसफर के दौरान वह लाल बत्ती लगी गाड़ी में ऑफिस पहुंचा। इसे लेकर लोगों ने ट्रैफिक पुलिस को शिकायत कर दी। इसके बाद कैथल के ट्रैफिक पुलिस इंचार्ज रमेश चंद की टीम तहसीलदार के सरकारी आवास पर पहुंची और 1500 का चालान काट दिया। इसके बाद तहसीलदार ने बत्ती हटा दी। यह गाड़ी तहसीलदार के पिता के नाम पर रजिस्टर्ड थी।
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