हिमाचल प्रदेश विधान सभा तपोवन बुधवार से ई- विधान प्रणाली छोड़कर राष्ट्रीय ई- विधान ऐप्लिकेशन (नेवा) पर माईग्रेट हो गई है। यह बात कुलदीप सिंह पठानियां ने तपोवन विधान सभा में सदन में मौजूद सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कही।
हिमाचल प्रदेश विधान सभा तपोवन बुधवार से ई- विधान प्रणाली छोड़कर राष्ट्रीय ई- विधान ऐप्लिकेशन (नेवा) पर माईग्रेट हो गई है। यह बात कुलदीप सिंह पठानियां ने तपोवन विधान सभा में सदन में मौजूद सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कही।
खबर खास, धर्मशाला :
हिमाचल प्रदेश विधान सभा तपोवन बुधवार से ई- विधान प्रणाली छोड़कर राष्ट्रीय ई- विधान ऐप्लिकेशन (नेवा) पर माईग्रेट हो गई है। यह बात कुलदीप सिंह पठानियां ने तपोवन विधान सभा में सदन में मौजूद सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू तथा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर विधान सभा अध्यक्ष के आसन के दाँयी तथा बाँयी ओर बैठे थे।
इस दौरान सदन में मौजूद सदस्यों को सम्बोधित करते हुए पठानियां ने कहा कि ई- विधान प्रणाली का शुभारम्भ 4 अगस्त, 2014 को प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवन्त सिंह परमार के जन्मोत्सव पर तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल की उपस्थिती में किया गया था। पठानियां ने कहा कि हिमाचल ई- विधान मॉडल की देश – दुनियां में प्रशंसा हुई थी तथा भारत सरकार के तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रोद्योगिकी विभाग की ओर से इसकी स्थापना के लिए 8.12 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई थी। पठानियां ने कहा कि ई- विधान प्रणाली उच्च तकनीक युक्त पर्यावरण मित्र तथा कागज रहित प्रणाली थी जिसकी वजह से हजारों वृक्षों का प्रतिवर्ष कटान रूका था तथा वहीं कार्य में तीव्रता, दक्षता व पारदर्शिता आई थी।
पठानियां ने कहा कि राष्ट्रीय ई- विधान ऐप्लिकेशन के लागू होने से आज हमारा स्तर राज्य से राष्ट्रीय हो गया है। अब हमारी विधान सभा की कार्यवाही, कार्यप्रणाली तथा क्रिया- कलापों को राष्ट्र स्तर पर भी देखा जा सकता है । उन्होने कहा कि तपोवन विधान सभा में राष्ट्रीय ई- विधान ऐप्लिकेशन (नेवा) की स्थापना के लिए भारत सरकार के ससंदीय कार्य मंत्रालय द्वारा 8.13 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है जिसका कार्य प्रगति पर है।
उन्होंने कहा कि नेवा के लागू होने से हमारी विधान सभा भी राज्यसभा, लोकसभा तथा अन्य विधान सभाओं की तरह एक ही प्लेटफार्म पर आ गई है। नेवा के माध्यम से भी सदस्य सीधे जनता से जुड़ेंगे तथा कार्य में तीव्रता, पारदर्शिता आएगी तथा कागज के बोझ से निजात मिलेगी। विधायक विधान सभा से ऑन लाईन जुड़ने के साथ जनता के मुद्दों को सरल एवं त्वरित आदान – प्रादान कर सकेगे। विधान सभा का कार्य डिजिटल होने की वजह से प्रतिवर्ष लगभग 10 से 15 टन कागज की भी बचत होगी।
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