कैबिनेट मंत्री चीमा ने एनसीआरबी के आंकड़े को लेकर उठाए केंद्र सरकार पर सवाल हम भाजपा को इस मुद्दे को राजनीतिक सुविधा के कालीन के नीचे छिपाने नहीं देंगे: चीमा
कैबिनेट मंत्री चीमा ने एनसीआरबी के आंकड़े को लेकर उठाए केंद्र सरकार पर सवाल हम भाजपा को इस मुद्दे को राजनीतिक सुविधा के कालीन के नीचे छिपाने नहीं देंगे: चीमा
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आज राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा हाल ही में जारी की गई वर्ष 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कड़ा प्रहार किया। इस रिपोर्ट में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के विरुद्ध, विशेषकर भाजपा शासित राज्यों में, अपराधों में चिंताजनक वृद्धि का खुलासा हुआ है।
वित्त मंत्री ने एनसीआरबी की रिपोर्ट "क्राइम इन इंडिया 2023" पर गंभीर चिंता प्रकट की, जिसमें देशभर में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के विरुद्ध अपराधों में 28.8% की चौंकाने वाली वृद्धि दर्शाई गई है। वर्ष 2022 में दर्ज 10,064 मामलों की तुलना में वर्ष 2023 में यह संख्या बढ़कर 12,960 पहुँच गई। उन्होंने आगे कहा कि अनुसूचित जातियों (एससी) के विरुद्ध अपराधों में भी बढ़ोतरी हुई और वर्ष 2023 में 57,789 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि इन अपराधों का भौगोलिक वितरण साफ तौर पर भाजपा शासित राज्यों के शासन की पोल खोलता है।
अनुसूचित जातियों के विरुद्ध अपराधों का उल्लेख करते हुए, वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि भाजपा शासित तीन राज्य दर्ज मामलों की सूची में सबसे ऊपर हैं। उन्होंने कहा, "भाजपा शासन का गढ़ उत्तर प्रदेश अनुसूचित जातियों के विरुद्ध 15,130 मामलों के साथ देश में शीर्ष पर है, इसके बाद राजस्थान 8,449 मामलों और मध्य प्रदेश 8,232 मामलों के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। ये आंकड़े भाजपा की प्राथमिकताओं की घिनौनी सच्चाई उजागर करते हैं कि उनका ध्यान दलितों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने पर नहीं बल्कि विभाजनकारी राजनीति पर है।"
अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध अपराधों से संबंधित चौंकाने वाले आँकड़ों पर गहरी चिंता जताते हुए वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि रिपोर्ट दर्शाती है कि भाजपा शासित राज्य मणिपुर में पूरे देश में सबसे अधिक 3,399 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकतर विनाशकारी जातीय हिंसा, दंगे और आगजनी से संबंधित थे। इसके अलावा, रिपोर्ट ने न्याय प्रणाली की बदहाली पर भी प्रकाश डाला है, जहाँ वर्ष 2023 के अंत तक मणिपुर में अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध अपराधों के 99.3% मामलों की सुनवाई लंबित थी।
वित्त मंत्री चीमा ने कहा, "सामाजिक न्याय पर भाजपा की बयानबाज़ी उनकी अपनी सरकारों के अपराध आँकड़ों से खोखली और पाखंडी साबित होती है। हमारे सबसे कमजोर समुदायों के विरुद्ध बढ़ती हिंसा भाजपा शासित राज्यों में पैदा हुए ज़हरीले सामाजिक वातावरण और प्रशासनिक लापरवाही का सीधा नतीजा है। यह केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है; यह एक नैतिक असफलता है।"
केंद्र सरकार से तत्काल और पारदर्शी कार्रवाई की मांग करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने अपनी टिप्पणी समाप्त करते हुए कहा, "केंद्र सरकार को केवल प्रेस बयान जारी करना बंद कर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। एनसीआरबी की रिपोर्ट महज़ आँकड़ों का दस्तावेज़ नहीं है; यह उन समुदायों की एक निराशाजनक पुकार है जिनकी ज़िंदगियाँ भाजपा शासन के अधीन लगातार खतरे में हैं। हम भाजपा को इस मुद्दे को राजनीतिक सुविधा के कालीन के नीचे छिपाने नहीं देंगे।"
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