वर्तमान सरकार ने अपने संकल्प पत्र में सैन्य सेवाओं के वीर शहीदों के बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का वादा किया था, अब सरकार ने अपने वादे से भी आगे बढते हुए सैन्य सेवाओं के शहीदों के बच्चों के साथ – साथ शहीद अर्ध-सैनिक बलों के बच्चों को भी छात्रवृत्त्िा देने का निर्णय लिया है।
हरियाणा में शहीद सैनिकों एवं अर्धसैनिक बलों के बच्चों को मिलेगी छात्रवृत्ति
खबर खास, चंडीगढ़ :
देश के वीर जवानों के सर्वोच्च बलिदान को श्रद्धांजलि स्वरूप, हरियाणा सरकार ने शहीद सैनिकों एवं अर्धसैनिक बलों के बच्चों के लिए एक विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू करने का निर्णय लिया है।
वर्तमान सरकार ने अपने संकल्प पत्र में सैन्य सेवाओं के वीर शहीदों के बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का वादा किया था, अब सरकार ने अपने वादे से भी आगे बढते हुए सैन्य सेवाओं के शहीदों के बच्चों के साथ – साथ शहीद अर्ध-सैनिक बलों के बच्चों को भी छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना से प्रेरित इस नई नीति के तहत कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को प्रतिवर्ष 60 हजार रुपए की छात्रवृत्ति दी जाएगी। स्नातक स्तर तक के विद्यार्थियों को 72 हजार रुपए प्रति वर्ष जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययनरत छात्रों को 96 हजार रूपये प्रति वर्ष छात्रवृत्ति मिलेगी। इस योजना से 189 छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में 1 करोड, 31 लाख 64 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
युद्ध हताहतों के आश्रितों को अनुकंपा आधार पर दी जाने वाली नियुक्ति नीति में छूट को मंजूरी प्रदान की
मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा मूल के युद्ध हताहतों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए हरियाणा सरकार की नीति में छूट प्रदान करने को स्वीकृति प्रदान की।
अनुकंपा आधार पर नियुक्ति के लिए 30 मई, 2014 की मौजूदा नीति और 27 अगस्त, 2014 को इसके बाद के संशोधन के अनुसार, युद्ध में हताहत हुए सैनिक/अर्ध सैनिक का आश्रित मृतक के पद के आधार पर ग्रुप बी, सी या डी पदों में नियुक्ति के लिए पात्र है, बशर्ते कि नीति के शुरू होने के तीन साल के अंदर- अंदर आवेदन किया हो। हालांकि, राज्य सरकार को युद्ध में हताहत हुए लोगों के कई आश्रितों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे, जो निर्धारित तीन साल की अवधि के भीतर आवेदन नहीं कर सके, जिससे उनके मामले मौजूदा मानदंडों के अनुसार ‘समय-बाधित’ हो गए। सैनिकों के परिवारों के कल्याण और पुनर्वास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने नीति में छूट को मंजूरी दी है।
इस फैसले से सात ऐसे समय-बाधित मामलों में अनुकंपा नियुक्ति मिलेगी जो तीन साल के अंदर-अंदर आवेदन नहीं दे सके थे। इनमें हरपाल सिंह, सिपाही जिले सिंह (सेना) के पुत्र, जिनकी 9 अगस्त, 2006 को ऑपरेशन रक्षक के दौरान मौत हो गई थी; संदीप गौतम, कांस्टेबल सुजीत कुमार (बीएसएफ) के भाई, जिनकी 152 बटालियन सीआरपीएफ के साथ 7 अप्रैल, 2004 को ड्यूटी के दौरान मौत हो गई थी; ममता, कांस्टेबल रोहताश कुमार (बीएसएफ) की बेटी, जिन्होंने 42वीं बटालियन में 5 जुलाई, 1997 को सेवा करते हुए अपनी जान गंवा दी थी; रितु, कांस्टेबल दिलबाग सिंह (बीएसएफ) की बेटी, जिनकी 88 बटालियन में 28 नवंबर, 2001 को सेवा के दौरान मौत हो गई थी सोनू यादव, लांस नायक/चालक रामजस यादव (सीआरपीएफ) की पुत्री, जो 19 अप्रैल, 1990 को असम के मानस वन में उग्रवादियों द्वारा किए गए विस्फोट में शहीद हो गए थे; तरुण, सिपाही भूपेंद्र सिंह (सेना) के पुत्र, जो 1 अगस्त, 2002 को जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान कार्रवाई में मारे गए थे और नागेंद्र, हवलदार राम कुमार (सेना) के पुत्र, जिन्होंने ऑपरेशन विजय (कारगिल) के दौरान अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
इसके अतिरिक्त, कैबिनेट ने आतंकवादियों के साथ मुठभेड के दौरान शहीद हुए देवेन्द्र भाटी के भाई भगत सिंह को नीति में छूट देते हुए अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति देने को स्वीकृति प्रदान की है।
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