उनका जीवन मानव सेवा, धर्म, त्याग और राष्ट्र निर्माण को रहा समर्पित स्वामी जी भारतीय संस्कृति, सभ्यता और नैतिक मूल्यों की रक्षा और संवर्धन के लिए प्रेरणापुंज- नायब सिंह
उनका जीवन मानव सेवा, धर्म, त्याग और राष्ट्र निर्माण को रहा समर्पित स्वामी जी भारतीय संस्कृति, सभ्यता और नैतिक मूल्यों की रक्षा और संवर्धन के लिए प्रेरणापुंज- नायब सिंह
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानन्द जी एक युग-पुरुष थे। वे एक ऐसे प्रकाश स्तंभ थे, जिनकी किरणें आज भी हमारी संस्कृति, विचारों, और समाज को दिशा प्रदान कर रही हैं।
मुख्यमंत्री वीरवार को देर सांय संत कबीर कुटीर में स्वामी ब्रह्मानन्द जी की जन्म भूमि गांव चूहड़ माजरा से आए अनुयायियों को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम ऐसे महान तपस्वी, समाज-सुधारक और आध्यात्मिक पुरुष, जगतगुरु स्वामी ब्रह्मानन्द जी का स्मरण करने के लिए एकत्रित हुए हैं जिनका पूरा जीवन मानव सेवा, धर्म, त्याग और राष्ट्र निर्माण को समर्पित रहा। स्वामी ब्रह्मानन्द जी को शत-शत नमन एवं वन्दन है। इस अवसर पर विधानसभा स्पीकर श्री हरविंद्र कल्याण, पुंडरी विधायक सतपाल जांबा सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत-महात्माओं का जीवन पूरे समाज के लिए मार्गदर्शन का काम करता है। उनसे सीखकर ही हम जीवन में नैतिकता, त्याग, प्रेम और सेवा के बीज बो पाते हैं। स्वामी जी का जीवन महान भारतीय संस्कृति, सभ्यता और नैतिक मूल्यों की रक्षा और संवर्धन की प्रेरणा देता है। भौतिकवाद युग में स्वामी जी के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी जी अल्पायु में ही घर त्याग कर आध्यात्मिक साधना के मार्ग पर अग्रसर हो गए। गुरुकुल कुरुक्षेत्र से उन्होंने वैदिक शिक्षा प्राप्त की और अपना जीवन, कर्म, ज्ञान व तपस्या मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। स्वामी जी का आर्य समाज में गहरा विश्वास रहा और वे एकेश्वरवाद, ओंकार और निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश देते हुए मानवमात्र की सेवा को ही सच्ची ईश्वर-भक्ति मानते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश जब गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था तब ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं नगण्य थी और समाज रूढ़िवादिता से घिरा हुआ था। ऐसे समय में स्वामी ब्रह्मानन्द जी ने अपनी वाणी, कलम और कर्म से समाज में जागरूकता की नई अलख जगाई। उन्होंने वेदों और उपनिषदों का गहन अध्ययन किया और अनेक ग्रंथों की रचना की, जिससे समाज को नई दृष्टि, नई प्रेरणा का रास्ता मिला।
सैनी ने कहा कि बिना शिक्षा के समाज में जागृति सम्भव नहीं। इसलिए स्वामी जी ने ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर महिलाओं की शिक्षा प्रसार को अपना ध्येय बनाया। उनका कहना था कि गौ सेवा, शिक्षा और समाज सुधार इन तीन स्तंभों पर ही एक सुखी और सभ्य समाज की नींव टिक सकती है, इसलिए 1947 में उन्होंने गुरुकुल ओंकारपुरा में पहली आदर्श गौशाला की स्थापना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा दायित्व है कि स्वामी जी के बताए मार्ग पर चलकर समाज में नैतिकता, सामाजिक मूल्यों और आपसी सद्भाव की कड़ियों को मजबूत करें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हम उनके समाज सुधार, शिक्षा प्रसार और गौ सेवा जैसे पवित्र कार्यों को आगे बढ़ांए ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत-महात्मा और गुरु हमारी अमूल्य धरोहर हैं। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम महान विभूतियों की विरासत को संभालें और सहेजें। इसी उद्देश्य से सरकार ने प्रदेश में संत-महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना चलाई है। इस योजना के माध्यम से संतों और महापुरुषों के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया जा रहा हैं ताकि, आने वाली पीढ़ी उनसे प्रेरित हो सके। इस मौके पर समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिंह भेंट कर सम्मानित भी किया।
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