पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने आज विधानसभा में घोषणा की कि राज्य सरकार पंजाब में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने हेतु विभिन्न विभागों और विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करेगी।
पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने आज विधानसभा में घोषणा की कि राज्य सरकार पंजाब में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने हेतु विभिन्न विभागों और विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करेगी।
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने आज विधानसभा में घोषणा की कि राज्य सरकार पंजाब में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने हेतु विभिन्न विभागों और विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करेगी।
कैबिनेट मंत्री ने सदन को अवगत कराया कि स्थानीय निकाय विभाग इस दिशा में प्रभावी कार्य योजना तैयार करने हेतु सभी संबंधित विभागों और हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करने के प्रयासों का नेतृत्व करेगा। उन्होंने इस मुद्दे को हल करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पहले ही पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम में संशोधन संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान इस विषय पर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दे चुके हैं।
डॉ. रवजोत सिंह ने बताया कि विभाग पहले ही "पंजाब मुआवज़ा टू विक्टिम्स ऑफ एनिमल अटैक ऐंड एक्सीडेंट पॉलिसी, 2023" लागू किया हुआ है, जिसके तहत आवारा पशुओं के हमले के कारण मृत्यु या स्थायी अपंगता का शिकार होने वाले लोगों के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह मुआवजा संबंधित जिले के डिप्टी कमिश्नर की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा वितरित किया जाता है।
मुद्दे की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कैबिनेट मंत्री ने बताया कि आवारा पशुओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिसके कारण अक्सर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि 20वीं पशुगणना (जब तक 21वीं जनगणना के आंकड़े नहीं आ जाते) के अनुसार राज्य में 1.4 लाख आवारा पशु हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 2 लाख से अधिक आवारा पशु राज्य की 518 पंजीकृत गौशालाओं में रखे गए हैं। साथ ही, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित 20 सरकारी पशु आश्रयों में 77 पशु शेड बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, शहरी स्थानीय संस्थाओं द्वारा 10 अतिरिक्त गौशालाएं अपने स्तर पर संचालित की जा रही हैं।
डॉ. रवजोत सिंह ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय नियमित रूप से अपने क्षेत्र में घूमने वाले आवारा पशुओं को सुरक्षित तरीके से सरकारी या निजी गौशालाओं में छोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि गौ टैक्स फंड और शहरी निकायों यू एल बी के संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर इन गौशालाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। उन्होंने आगे कहा कि यू एल बी को आवारा पशुओं की आबादी को नियंत्रित करने के लिए विशेष कदम उठाने हेतु निरंतर निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
कैबिनेट मंत्री ने अंत में कहा कि आवारा पशुओं की समस्या के स्थायी समाधान को सुनिश्चित करने के लिए सरकार बहु-पक्षीय दृष्टिकोण अपनाकर विशेषज्ञों, पशु कल्याण संगठनों और प्रशासनिक विभागों के साथ समन्वय से कार्य कर रही है।
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