आरोप गंभीर, पद से हटाने के लिए कार्रवाई जरूरी, बोले ओम बिरला
आरोप गंभीर, पद से हटाने के लिए कार्रवाई जरूरी, बोले ओम बिरला
खबर खास, नई दिल्ली :
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कैश कांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। स्पीकर ने कहा, 'मुझे रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता समेत कुल 146 सदस्यों के हस्ताक्षर से प्रस्ताव मिला है।'
उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने की मांग है। स्पीकर ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का ऐलान किया। इसमें सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के 1-1 जज और 1 कानूनविद शामिल हैं। जांच समिति की रिपोर्ट आने तक यह महाभियोग प्रस्ताव लंबित रहेगा।
स्पीकर बिरला ने कहा कि 'हमने न्यायाधीश जांच अधिनियम के प्रावधानों का अध्ययन किया है। हमने सुप्रीम कोर्ट के घोषित कानूनों के साथ-साथ कई अन्य फैसलों की जानकारी भी रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत को गंभीर प्रकृति का पाया है। इनहाउस प्रक्रिया का पालन किया।' उन्होंने कहा कि सीजेआई ने इस मामले पर विचार करने के बाद जस्टिस वर्मा की प्रतिक्रिया और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की प्रतिक्रिया पर राय बनाई कि इस पर गहन जांच जरूरी है। इसलिए एक 3 सदस्यों वाली कमेटी बनाई गई।'
स्पीकर ने कहा कि 'हमें याद है कि तत्कालीन सीजीआई ने यह रिपोर्ट पीएम और राष्ट्रपति को भेजी है। यह भी कहा है कि इस केस में पूर्व प्रावधानों के अनुसार काम किया है। समिति की रिपोर्ट में आरोप इस प्रकृति के हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने की कार्रवाई शुरू करने की जरूरत है।' 'स्वतंत्र जांच के बाद हमें यह पता चला है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत जज को हटाने की प्रक्रिया नियमों के अनुसार शुरू की जानी चाहिए। बेदाग चरित्र न्यायपालिका में एक आदमी के विश्वास की नींव है। वर्तमान केस में जुड़े तथ्य भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करते हैं और कार्रवाई के लिए प्रेरित करते हैं।'
उन्होंने कहा कि 'संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव पेश करते हैं। इस पर आगे की कार्रवाई की जाए। इसे उचित पाते हुए मैंने इसकी स्वीकृति दी है। मैंने जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के आरोपों की जांच के लिए 3 सदस्यों की कमेटी बनाई है। कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट चीफ जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट बीवी आचार्य शामिल हैं।'
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