शहरी स्थानीय निकायों में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एकीकृत नगरपालिका ढांचा
शहरी स्थानीय निकायों में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एकीकृत नगरपालिका ढांचा
खबर खास, चंडीगढ़ :
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में शहरी शासन व्यवस्था में बड़े सुधार को मंजूरी देते हुए हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 2025 को लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह नया अधिनियम वर्तमान में लागू हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 एवं हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 को प्रतिस्थापित करेगा।
नए एकीकृत अधिनियम का उद्देश्य सभी श्रेणियों की नगर निकायों —नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं—को एक ही कानूनी ढांचे के अंतर्गत लाना है। वर्तमान में राज्य की 87 नगरपालिकाएं दो अलग-अलग अधिनियमों के तहत संचालित हो रही हैं, जिससे प्रशासनिक जटिलताएं, सेवा प्रदायगी में असमानता और नियमों की व्याख्या में कठिनाई उत्पन्न होती है। विभाग ने पिछले दो वर्षों में व्यापक परामर्श प्रक्रिया के बाद इस मसौदा अधिनियम को तैयार किया है, जिसमें भारत सरकार द्वारा जारी मॉडल नगरपालिका कानून के प्रावधानों को भी शामिल किया गया है।
हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 2025 का उद्देश्य शासन प्रणाली को सुव्यवस्थित करना, अस्पष्टताओं को दूर करना, नगरपालिका प्रशासन का आधुनिकीकरण करना और शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्वायत्तता को सुदृढ़ करना है। इसके प्रमुख प्रावधानों में नगरपालिका को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम एवं अधिकतम सीमा के भीतर कर और शुल्क निर्धारित करने का अधिकार, क्रेडिट रेटिंग का प्रावधान जिससे पूंजी बाजार से धन उधार लेने की सुविधा हो सके, तथा शहरी अवसंरचना विकास कंपनी की स्थापना शामिल है।
अधिनियम में शहरी परिवहन योजना, शहरी वानिकी तथा ग़ैर-कानूनी कॉलोनियों के निषेध से संबंधित प्रावधान भी जोड़े गए हैं, जो हरियाणा विकास एवं शहरी क्षेत्रों के विनियमन अधिनियम, 1975 से मिलते-जुलते हैं। नगरपालिका कर्मचारियों के लिए सामान्य सेवा नियम प्रस्तावित किए गए हैं जिससे दो अलग-अलग कानूनी ढांचों के कारण स्थानांतरण और पदोन्नति से उत्पन्न होने वाले विवाद कम होंगे। इसके अतिरिक्त, नगर अपराधों के परीक्षण के लिए नगर दंडाधिकारी नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है तथा विभिन्न उल्लंघनों के लिए जुर्माने/दंड की राशि में वृद्धि की गई है।
यह पहल पूरे हरियाणा में एक आधुनिक, समान एवं दक्ष नगरपालिका शासन प्रणाली स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो वर्तमान और भविष्य की शहरीकरण आवश्यकताओं के अनुरूप है।
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