लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को यहां कहा कि लोक निर्माण और शहरी विकास विभागों के तहत विकासात्मक परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए व्यापक रणनीति अपनाई जा रही है।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को यहां कहा कि लोक निर्माण और शहरी विकास विभागों के तहत विकासात्मक परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए व्यापक रणनीति अपनाई जा रही है।
खबर खास, शिमला :
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को यहां कहा कि लोक निर्माण और शहरी विकास विभागों के तहत विकासात्मक परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए व्यापक रणनीति अपनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि शहरी विकास विभाग, पीडब्ल्यूडी और नाबार्ड के वरिष्ठ अधिकारियों, इंजीनियरों और कार्यकारी अधिकारियों के साथ हाल ही में एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के चरण-4 के तहत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) अपलोड करने में देश में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि राज्य 1500 किलोमीटर सड़क निर्माण के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में कार्य कर रहा है और इसके लिए स्थानीय समुदायों और पंचायतों से पूर्ण सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि समय पर भूमि की उपलब्धता और स्थानीय सहयोग के अभाव में लक्ष्य को 400 से 500 कि.मी. तक हासिल किया जा सकता है।
वन विभाग की मंजूरी में देरी और विभाग के नाम पर भूमि का पंजीकरण न होने जैसी प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभागों के साथ एक संयुक्त बैठक की योजना बनाई जा रही है। स्थानीय प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन की भागीदारी से भूमि की पहचान और अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।
परियोजनाओं के कार्यान्वयन में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लोक निर्माण विभाग के डिवीजनों को लाल, पीला, हरा और गैर-निष्पादित, चार वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ आरोप पत्र तय करने और ब्लैक लिस्ट में डालने सहित सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि शहरी विकास विभाग के तहत शहरी चुनौती निधि के तहत 1200 करोड़ रुपये की परियोजनाएं प्रस्तावित है जिसके तहत केंद्र और राज्य सरकार के माध्यम से 25 प्रतिशत धनराशि तथा शेष राशि बैंकों और बाजार के माध्यम से जुटाई जाएगी। इसके अंतर्गत स्वच्छता, जल निकासी, पार्किंग सुविधाएं और शहरी बुनियादी ढांचे का सुदृढ़ीकरण प्राथमिकता में शामिल हैं।
मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा प्रदान करने के लिए वह शीघ्र ही केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट करेंगे। उन्होंने कहा कि मानसून से पहले के तीन महीनों के भीतर विकासात्मक परियोजनाओं को पूरा करना महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, नागरिकों और ठेकेदारों से विकास को गति देने में सरकार का सहयोग करने का आह्वान किया जिनमें प्रदेश के विशेष रूप से कुल्लू, सिरमौर, चंबा, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के दुर्गम क्षेत्र शामिल हैं।
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