कहा, नहरी तंत्र को किया जा रहा है तर्कसंगत, हैड से टेल तक पानी का हो कुशल प्रबंधन मूल डिवीजनों को पूरा नियंत्रण वापस मिलने से दोहरी जिम्मेदारी होगी समाप्त, अधिकारियों की जवाबदेही होगी स्पष्ट
कहा, नहरी तंत्र को किया जा रहा है तर्कसंगत, हैड से टेल तक पानी का हो कुशल प्रबंधन मूल डिवीजनों को पूरा नियंत्रण वापस मिलने से दोहरी जिम्मेदारी होगी समाप्त, अधिकारियों की जवाबदेही होगी स्पष्ट
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि किसानों व जनता के हितों का ध्यान रखकर व एलडब्ल्यूएस सर्कल की परियोजनाओं में देरी होने के कारण जून, 2020 के आदेशों को रद्द कर दिया गया। नहरी तंत्र को तर्कसंगत बनाते हुए जिन नहरों का नियंत्रण लोहारू डिवीजन को सौंपा गया था, किसानों की मांग पर उन नहरों को वापिस मूल डिवीजन में कर दिया गया है ताकि हैड से टेल तक पानी का कुशल प्रबंधन हो सके।
सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री गत देर सायं चण्डीगढ़ में सिंचाई एवं जल संसाधन के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान जून, 2020 में जारी आदेशों की समीक्षा की है और उन्हें रद्द कर दिया है। जिसके तहत जुई, सिवानी और हिसार जल सेवा प्रभागों की कुछ नहर प्रणालियों को लोहारू डिवीजन में स्थानांतरित कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान व्यावहारिक कठिनाइयां उत्पन्न हुई क्योंकि इन नहरों के केवल अंतिम भाग ही लोहारू डिवीजन के पास थे, जबकि मुख्य भाग अपने मूल डिवीजनों के अधीन रहे। इस विभाजित नियंत्रण के कारण नहर के पानी का अकुशल विनियमन हुआ, जिससे किसान विशेष रूप से अंतिम छोर पर प्रभावित हुए। सरकार ने इन नहरों को उनके मूल डिवीजनों में बहाल करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, इन नहरों की मरम्मत और पुनर्वास के बाद पानी की उपलब्धता में सुधार हुआ है।
श्रुति चौधरी ने कहा कि इस महत्वपूर्ण कदम से अब नहरों का हैड और टेल हिस्सा एक ही डिवीजन के अधीन रहेगा, जिससे सिर से टेल तक संतुलित वितरण सुनिश्चित होगा और पानी का बेहतर आपूर्ति प्रबंधन होगा। उन्होंने कहा कि मूल डिवीजनों को पूरा नियंत्रण वापस मिलने से दोहरी जिम्मेदारी समाप्त होगी और अधिकारियों की जवाबदेही स्पष्ट होगी। टेल एरिया के किसानों को अब अधिक सुनिश्चित और समय पर पानी मिलेगा, जिससे विवाद और शिकायतें घटेंगी। नहरों की निगरानी, मरम्मत और नियमन मूल डिवीजनों के अधीन होने से अधिक सुचारु और प्रभावी होगा। इससे निश्चित रूप से कार्यक्षमता में सुधार होगा।
उन्होंने कहा कि दो डिवीज़नों के बीच स्टाफ व संसाधनों के दोहराव से बचत होगी और सरकारी खर्च का बेहतर उपयोग होगा। यह निर्णय दर्शाता है कि सरकार जमीनी वास्तविकताओं को देखते हुए पुराने आदेशों की समीक्षा कर सही कदम उठाती है। जो नीतिगत पारदर्शिता को दर्शाता है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने जिला भिवानी के ब्लॉक सिवानी के गाँव खेड़ा में 17.54 करोड़ रुपये की लागत से ऑफिस कॉम्प्लेक्स, नहर विश्राम गृह और स्टाफ आवास का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसका कार्य 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है और यहाँ लोहारू, सिवानी और मिकाडा डिवीज़न के एसडीओ एक ही जगह पर बैठेंगे। इससे किसानों को अपनी समस्याएँ एक ही स्थान पर, अपने गाँव के पास ही सुलझाने की सुविधा मिलेगी। लोहारू डिवीजन का मुख्यालय लोहारू में ही रहेगा, जिससे प्रशासनिक कार्यों की निरंतरता बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि इस से एक निर्णय, दो फायदे होंगे। नहरों का बेहतर प्रबंधन और किसानों को सेवाएँ उनके घर द्वार पर मिलेगी और सिर से टेल तक हर किसान को न्यायोचित पानी मिलेगा और अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री ने कहा कि यह निर्णय किसान कल्याण और कुशल जल प्रबंधन के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम जमीनी हकीकत के मद्देनजर पिछले फैसलों की समीक्षा कर किसान व जनता हित में निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि नहरों के उचित प्रबंधन को बहाल करने के साथ-साथ, हम आधुनिक बुनियादी ढांचे में भी निवेश कर रहे हैं ताकि हर किसान आसानी से और बिना किसी परेशानी के सेवाओं का लाभ उठा सके। इससे कामकाज सुचारू होगा, सेवाएँ बेहतर होगी और कृषक समुदाय में संतुष्टि बढ़ेगी।
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