चीमा ने कहा कि ये आयोजन गुरु साहिब द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों की रक्षा हेतु दी गई अद्वितीय कुर्बानी को समर्पित एक राष्ट्रीय श्रद्धांजलि हैं।
चीमा ने कहा कि ये आयोजन गुरु साहिब द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों की रक्षा हेतु दी गई अद्वितीय कुर्बानी को समर्पित एक राष्ट्रीय श्रद्धांजलि हैं।
खबर खास, चंडीगढ़/भुवनेश्वर-
पंजाब सरकार द्वारा राष्ट्रीय साझा विरासत की भावना के तहत ओडिशा से राबता कायम करने के लिए पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक ने आज भुवनेश्वर का विशेष दौरा किया, जहाँ उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी से भेंट की। इस उच्चस्तरीय दौरे का मुख्य उद्देश्य नौवें सिख गुरु, ‘हिंद की चादर’ श्री गुरु तेग बहादर जी की 350वीं शहादत की वर्षगांठ के अवसर पर पंजाब में आयोजित होने वाले महान समारोहों के लिए मुख्यमंत्री माझी को औपचारिक निमंत्रण देना था।
ओडिशा मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई बैठक के दौरान वित्त मंत्री चीमा ने मुख्यमंत्री माझी को निमंत्रण पत्र सौंपा और स्मृति समारोहों के पैमाने तथा महत्व के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। चीमा ने कहा कि ये आयोजन गुरु साहिब द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों की रक्षा हेतु दी गई अद्वितीय कुर्बानी को समर्पित एक राष्ट्रीय श्रद्धांजलि हैं।
वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादर जी की शहादत भारत के इतिहास का वह महत्वपूर्ण अध्याय है जो बुनियादी मानवीय मूल्यों की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ‘हिंद की चादर’ द्वारा दी गई यह अद्वितीय कुर्बानी एक ऐसी राष्ट्रीय विरासत है जो सभी धार्मिक और प्रांतीय सीमाओं से परे है। उन्होंने कहा कि इन ऐतिहासिक आयोजनों में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी का स्वागत करना पंजाब सरकार के लिए गर्व की बात है।
इस अवसर पर कटारूचक ने अंतरराज्यीय सहयोग की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री माझी ने अत्यंत आत्मीयता से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह दौरा उस एकजुट श्रद्धांजलि को समर्पित है जो सम्पूर्ण देश को गुरु साहिब को अर्पित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब द्वारा दिया गया साहस, धर्मनिरपेक्षता और विश्व-भाईचारे का संदेश ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा सहित देश के सभी राज्यों में गूंजता है।
मुख्यमंत्री माझी ने श्री गुरु तेग बहादर जी की कुर्बानी के प्रति गहरा सम्मान प्रकट किया और 350वीं बरसी के महत्व पर अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों ने मुख्यमंत्री माझी को एक स्मृति चिन्ह और साहित्य भेंट किया, जिसमें समारोहों के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का विस्तृत विवरण दिया गया था। इस प्रकार दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक आदान-प्रदान को और अधिक सशक्त किया गया।
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