रेज़िडेंट डॉक्टरों की स्टाइपेंड बढ़ोतरी, पांच मेडिकल कॉलेजों में बोन मैरो यूनिट के लिए ₹5-5 करोड़, और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ा बढ़ावा
रेज़िडेंट डॉक्टरों की स्टाइपेंड बढ़ोतरी, पांच मेडिकल कॉलेजों में बोन मैरो यूनिट के लिए ₹5-5 करोड़, और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ा बढ़ावा
ख़बर ख़ास, हिमाचल :
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुखू आज इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला की सेंट्रल स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा आयोजित वार्षिक समारोह ‘स्टिम्यूलस’ 2025-26 की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने छात्रों और आयोजकों को सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि आईजीएमसी के छात्रों ने हमेशा हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
अपने संबोधन में सीएम ने विभिन्न मानकों पर आधारित डॉक्टरों के लिए प्रोत्साहन नीति लागू करने की घोषणा की। उन्होंने यह भी घोषणा की कि आगामी बजट में पीजी रेज़िडेंट डॉक्टरों का मासिक स्टाइपेंड पहले वर्ष में ₹50,000, दूसरे वर्ष में ₹60,000 और तीसरे वर्ष में ₹65,000 किया जाएगा।
सीएम ने आईजीएमसी के लिए लैप्रोस्कोपिक सुविधाओं हेतु ₹5 करोड़ तथा एनेस्थीसिया विभाग के लिए ₹6 करोड़ की घोषणा भी की। उन्होंने नए छात्रावास के निर्माण के लिए भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया में तेजी लाने तथा कामला नेहरू अस्पताल से स्त्री रोग (गाइनेकोलॉजी) विंग को शीघ्र आईजीएमसी में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश में विश्वस्तरीय डायग्नोस्टिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में उन्होंने आईजीएमसी, एआईएमएसएस चामियाणा, टांडा मेडिकल कॉलेज, लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक और डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में बोन मैरो इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए ₹5-5 करोड़ की घोषणा की। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु केंद्रीय छात्रों की यूनियन को ₹5 लाख देने की घोषणा की।
उन्होंने बताया कि आईजीएमसी, टांडा और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चामियाणा में स्मार्ट लैब स्थापित करने के लिए ₹75 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं। सीएम ने कहा कि प्रदेश में पहली बार रोबोटिक सर्जरी सुविधाएं शुरू की गई हैं, जिनके लिए चामियाणा स्थित अतल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सुपर स्पेशियलिटीज़ और टांडा मेडिकल कॉलेज में रोबोटिक मशीनें स्थापित की गई हैं।
उन्होंने आगे बताया कि स्वास्थ्य ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए सरकार ₹3,000 करोड़ से अधिक का निवेश कर रही है तथा पुराने चिकित्सा उपकरणों को AIIMS दिल्ली और PGI चंडीगढ़ के स्तर की आधुनिक मशीनरी से बदला जा रहा है। मेडिकल शिक्षा को मजबूत करने के लिए आईजीएमसी और टांडा में बीएससी मेडिकल लैबोरेटरी, रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग, एनेस्थीसिया और ओटी टेक्नोलॉजी में सीटें भी बढ़ाई गई हैं।
सीएम ने कहा कि रेज़िडेंट डॉक्टरों के कार्य घंटे 36 घंटे से घटाकर अधिकतम 12 घंटे कर दिए गए हैं। सीनियर रेज़िडेंट का स्टाइपेंड ₹60,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 और सुपर स्पेशियलिटी विभागों में ₹1,00,000 से बढ़ाकर ₹1,30,000 कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि छात्रों और डॉक्टरों के हितों को सुरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता है और पिछले तीन वर्षों में मेडिकल शिक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए ₹1,207 करोड़ खर्च किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि चंबा, हमीरपुर और नेरचौक मेडिकल कॉलेजों में पीजी कोर्स शुरू किए गए हैं, और सभी मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग स्थापित किए गए हैं। 57 कैज़ुअल्टी मेडिकल ऑफिसरों की सीधी भर्ती की गई है और आपातकालीन सेवाओं के लिए 32 विशेषज्ञ पद सृजित किए गए हैं, जो देश में पहली बार हुआ है।
सीएम ने कहा कि चामियाणा स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को कार्यात्मक बना दिया गया है और आईजीएमसी में ट्रॉमा सेंटर और नया ओपीडी ब्लॉक शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश को इस क्षेत्र में एक मॉडल राज्य बनाने के विज़न पर काम कर रही है।
कार्यक्रम में सीएम ने छात्रों और डॉक्टरों को विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। कार्यक्रम में छात्रों ने आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। इस अवसर पर प्रिंसिपल डॉ. सीता ठाकुर ने कॉलेज की आवश्यकताओं की जानकारी दी और प्रोफेसर डॉ. पियूष कापिला ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। मेयर सुरेंद्र चौहान, उपायुक्त अनुपम कश्यप, एसपी संजीव गांधी, निदेशक मेडिकल एजुकेशन डॉ. राकेश शर्मा, एसएमएस डॉ. राहुल राव सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।
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