इस समागम के लिए भाई साहिब द्वारा अहम विचार दिए गए और उन्होंने कहा कि उन्होंने गुरू साहिब के चरणों में अरदास की है कि वे अपनी दया दृष्टि बनाये रखें और यह शताब्दी सच्ची और पवित्र भावना और बहुत बड़े तरीके के साथ मनायी जा सके।