हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों के चलते चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को भावी माता पिता के दत्तक ग्रहण करवाने में सफलता हासिल हो रही है। शिशु गृह टूटीकंडी शिमला में दो चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को उनके भावी माता पिता को दत्तक ग्रहण उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने करवाया है। सात महीने के इन दो बच्चों में से एक को उत्तराखंड तो दूसरे को यूपी के दंपति ने गोद लिया है।
उपायुक्त की देखरेख में हुआ दत्तक ग्रहण, सात महीने के दो बच्चों को उत्तराखंड और यूपी के दंपति ने लिया गोद
खबर खास, शिमला :
हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों के चलते चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को भावी माता पिता के दत्तक ग्रहण करवाने में सफलता हासिल हो रही है। शिशु गृह टूटीकंडी शिमला में दो चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को उनके भावी माता पिता को दत्तक ग्रहण उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने करवाया है। सात महीने के इन दो बच्चों में से एक को उत्तराखंड तो दूसरे को यूपी के दंपति ने गोद लिया है।
वहीं, उपायुक्त ने समाज के समृद्ध लोगों से अपील की है कि वे शिशु गृह और आश्रमों में पल रहे किशोर बच्चों को अपनाने के लिए आगे आएं ताकि इन बच्चों का सुखद और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समाज के कमजोर व गरीब वर्गों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरत है। राज्य में 4000 असहाय बच्चों की अब प्रदेश सरकार ही माता और सरकार ही पिता है। इन बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया गया है। वर्तमान सरकार ने इन बच्चों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना आरंभ की है। इस समय जिला में 13 बाल-बालिका संस्थान चलाए जा रहे हैं। उपायुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि इन बच्चों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है तथा मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष प्रदेश सरकार के इन प्रयासों की दिशा में एक और सार्थक पहल है। इन बच्चों के रहन-सहन, शिक्षा से लेकर उनके भविष्य को सुरक्षित करने में यह कोष सहायक बन रहा है।
इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा व दिव्यांग अभिभावकों के 0-27 वर्ष के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण के लिए इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना भी आरंभ की गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी शिमला ममता पॉल ने जानकारी देते हुए बताया कि बच्चा गोद लेने के लिए जिन माता पिता ने आवेदन किया होता है, उन्हें मेरिट के आधार पर दत्तक ग्रहण करवाया जाता है। इसके लिए अधिनियम के मुताबिक जो नियम व शर्तें पूरी करते है, उन्हें ही लाभ दिया जाता है।
यह है गोद लेने की प्रक्रिया
भारत में भारतीय नागरिक, एनआरआई और विदेशी नागरिक हर कोई बच्चे को गोद ले सकता है। लेकिन उसके लिए सबसे पहले उन्हें केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा बनाए गए नियमों को पूरा करना जरूरी है। शादीशुदा परिवार के अलावा इसके साथ ही सिंगल पैरेंट या कपल दोनों ही बच्चे को गोद ले सकते हैं। हालांकि मैरिड कपल के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। अगर कोई शादीशुदा जोड़ा बच्चा गोद ले रहा है तो उस कपल की शादी को कम से कम 2 साल का समय होना चाहिए। इसके अलावा उक्त दंपति को कोई जानलेवा बीमारी न हो। महिला को लड़का या लड़की तो पुरुष को सिर्फ लड़का ही गोद दिया जाता है। इसके अलावा मां-बाप की आर्थिक स्थिति को भी जांचा जाता है।
यह दस्तावेज जरूरी
गोद लेने वाले परिवार की मौजूदा तस्वीर, परिवार या शख्स का पैन कार्ड, बर्थ सर्टिफिकेट या कोई भी ऐसा डॉक्यूमेंट जिससे उस व्यक्ति की जन्म तिथि का प्रमाण मिल सके, आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, नवीनतम बिजली का बिल, टेलीफोन बिल इन सब में से किसी भी एक डॉक्यूमेंट का होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा उस साल की इनकम टैक्स की कॉपी, दंपति का मेडिकल सटिफिकेट, आवेदनकर्ता को होम स्टडी रिपोर्ट के समय 6 हजार रुपए फीस अदा करनी होती है। वहीं बच्चा गोद लेने के बाद माता पिता को 50 हजार रुपये शुल्क एजेंसी के पास जमा करवाना होता है।
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