अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव–2025 में सन्निहित सरोवर पर मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच हुआ दीपदान, ब्रह्मसरोवर हजारों दीपों से जगमगाया
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव–2025 में सन्निहित सरोवर पर मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच हुआ दीपदान, ब्रह्मसरोवर हजारों दीपों से जगमगाया
खबर ख़ास, चंडीगढ़ :
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव–2025 के अवसर पर कुरुक्षेत्र स्थित पवित्र और ऐतिहासिक सन्निहित सरोवर पर सोमवार को आयोजित भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम में सीएम सैनी ने मंत्रोच्चारण और शंखनाद की ध्वनि के बीच दीपदान किया। इस दौरान ब्रह्मसरोवर का सम्पूर्ण क्षेत्र हजारों दीपों की दिव्य रोशनी से आलोकित हो उठा। कार्यक्रम में पहुंचने पर विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं ने सीएम सैनी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
सीएम सैनी ने इस अवसर पर कहा कि गीता जयंती के पावन दिन पर सन्निहित सरोवर के तट पर दीपोत्सव आयोजित करना अपने आप में गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के जीवन को प्रकाशमान करने वाला सार्वभौमिक ज्ञान है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दीपोत्सव की यह प्रतीकात्मक रोशनी गीता के संदेशों को विश्व के हर व्यक्ति तक पहुंचाएगी और मानव जीवन को अधिक अलौकिक, सशक्त और विकसित बनाएगी।
दीपदान कार्यक्रम में सीएम सैनी के साथ गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा तथा पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने भी सहभागिता की। वैदिक मंत्रोच्चारण, शंखनाद और धार्मिक अनुष्ठानों से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। सीएम सैनी ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह वही पावन भूमि है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का अमर ज्ञान प्रदान किया था, जो आज भी मानवता का मार्गदर्शन करता है।
सीएम सैनी ने कार्यक्रम को भव्य बनाने में योगदान देने वाली तीर्थोंद्घार ब्राह्मण महासभा और सभी धार्मिक–सामाजिक संस्थाओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ब्रह्मसरोवर के तट पर हजारों दीप प्रज्ज्वलित करना आस्था, संस्कृति और परंपरा का शानदार संगम है, जो गीता महोत्सव की अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत करता है।
कार्यक्रम के दौरान चेयरमैन धर्मवीर मिर्जापुर, जिप चेयरमैन कंवलजीत कौर, केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल सहित अनेक अधिकारी और गणमान्य लोग मौजूद रहे। दीपों की अनगिनत रोशनी, मंत्रध्वनि और श्रद्धालुओं की आस्था ने पूरे क्षेत्र को दिव्य और आध्यात्मिक परिवेश से भर दिया।
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