विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के किसानों के शांतिपूर्ण पदयात्रा प्रदर्शन का गला घोंटने के लिए एक बार फिर पुलिस ज्यादती का सहारा लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार पर हमला किया।
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के किसानों के शांतिपूर्ण पदयात्रा प्रदर्शन का गला घोंटने के लिए एक बार फिर पुलिस ज्यादती का सहारा लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार पर हमला किया।
खबर खास, चंडीगढ़ :
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के किसानों के शांतिपूर्ण पदयात्रा प्रदर्शन का गला घोंटने के लिए एक बार फिर पुलिस ज्यादती का सहारा लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार पर हमला किया।
उन्होंने कहा, ''हरियाणा में भाजपा सरकार ने शंभू बॉर्डर पर अंतरराष्ट्रीय सीमा जैसे बैरिकेडिंग लगाकर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है, मानो पंजाब इस देश का हिस्सा ही नहीं है। ऐसा करके केंद्र और हरियाणा की भाजपा सरकार पंजाबी किसानों के बीच अलगाव की भावना पैदा कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाजवा ने कहा कि दमनकारी भाजपा सरकार द्वारा पंजाबी किसानों के खिलाफ एक बार फिर आंसू गैस के गोले दागे जाने के बाद कई किसान घायल हो गए हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शातिरता की सारी हदें पार कर दी हैं। अगर किसान अपने ही देश में शांतिपूर्वक प्रदर्शन नहीं कर सकते तो हमारे जैसे लोकतांत्रिक ढांचे में उन्हें क्या अधिकार हैं?
शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोगों के लिए अपना गुस्सा निकालने और अपनी आवाज बुलंद करने के लिए सुरक्षा वाल्व हैं। इस तरह के विरोध प्रदर्शनों को दबाना अक्सर विनाशकारी साबित होता है।
गौरतलब है कि मरजीवड़ा जत्था नाम के 101 किसानों के एक समूह ने रविवार को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर पैदल मार्च फिर से शुरू किया था। इस साल फरवरी में राजधानी की ओर मार्च करने का उनका पहला प्रयास विफल हो गया था, जिसके बाद वे शंभू सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सहित अपनी वैध मांगों के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
कादिआं के विधायक बाजवा ने केंद्र सरकार से किसानों के साथ बातचीत कर उनकी मांगों पर चर्चा करने का आह्वान किया। भाजपा सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों के लिए MSP को वैध बनाने के अपने वादे से मुकर रही है। लंबे समय से लंबित मांगों पर चर्चा के लिए निमंत्रण भेजने के बजाय, भाजपा सरकार किसानों के खिलाफ आंसू गैस के गोले दाग रही है, जो बेहद निंदनीय है।
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