मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अहम फैसला लिया गया। इस फैसले के तहत राज्य में अवैध खनन को रोकने और रेत व बजरी की कीमतों को और कम करने का रास्ता साफ कर दिया।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अहम फैसला लिया गया। इस फैसले के तहत राज्य में अवैध खनन को रोकने और रेत व बजरी की कीमतों को और कम करने का रास्ता साफ कर दिया।
अवैध खनन को रोकने के लिए लिया अहम फैसला
खबर खास, चंडीगढ़ :
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अहम फैसला लिया गया। इस फैसले के तहत राज्य में अवैध खनन को रोकने और रेत व बजरी की कीमतों को और कम करने का रास्ता साफ कर दिया।
यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिमंडल ने ‘पंजाब राज्य माइनर मिनरल नीति’ में संशोधन करने के लिए सहमति दे दी है। इसका उद्देश्य बाजार में कच्चे माल की आपूर्ति बढ़ाना, अवैध खनन और भ्रष्टाचार को कम करना, राज्य का राजस्व बढ़ाना और खनन क्षेत्र में संभावित एकाधिकार को खत्म करना है। यह संशोधन क्रशर माइनिंग साइट्स (सी.आर.एम.एस.) से संबंधित है, जिसके तहत क्रशर मालिक, जिनके पास बजरी वाली जमीन है, अब खनन लीज प्राप्त कर सकेंगे। इस कदम से अन्य राज्यों से खनन सामग्री की अवैध परिवहन पर रोक लगने की संभावना है।
इससे बाजार में कुचली हुई रेत और बजरी की उपलब्धता बढ़ेगी, जो राज्य में विकास गतिविधियों के लिए आवश्यक है। इसी तरह लैंडऑनर माइनिंग साइट्स (एल.एम.एस.) के तहत रेत वाली जमीनों के मालिकों को सुविधा होगी और वे खनन लीज के लिए आवेदन कर सकेंगे तथा खनन सामग्री को सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों पर खुले बाजार में बेच सकेंगे।
पहले जमीन मालिकों की सहमति न होने के कारण कई खनन स्थल कार्यशील नहीं थे, क्योंकि जमीन मालिक अपनी जमीन से किसी अज्ञात व्यक्ति को खनन की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं होते थे। एल.एम.एस. की शुरुआत से कार्यशील खनन स्थलों की संख्या बढ़ेगी, जिससे बाजार आपूर्ति बढ़ने के साथ-साथ राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा। यह कदम खनन क्षेत्र में एकाधिकार को खत्म करेगा।
इसके अलावा, डिप्टी कमिश्नरों को सरकारी और पंचायती जमीनों के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एन.ओ.सी.) जारी करने का अधिकार दिया गया है, क्योंकि वे इन जमीनों के संरक्षक होते हैं। यह बदलाव प्रक्रिया को सुचारु बनाएगा और सरकारी जमीनों पर खनन स्थलों के संचालन को तेज करेगा।
मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के प्रस्ताव को मंजूरी
इसी तरह ‘मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना’ के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई है, जिसके तहत वरिष्ठ नागरिकों को तीर्थ यात्रा कराई जाएगी। यात्रा का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी, जिसमें वातानुकूलित यात्रा, आरामदायक आवास और भोजन-पान की व्यवस्था आदि सुविधाएं शामिल होंगी। यात्रा को यादगार बनाने के लिए सरकार की ओर से श्रद्धालुओं को स्मृति-चिन्ह के रूप में उपहार भी दिया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि 50 वर्ष और इससे अधिक उम्र के सभी नागरिक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यह योजना हर जाति, धर्म, आय और क्षेत्र के लोगों के लिए है। पंजाब के सभी शहरों और गांवों के लोग इस योजना का लाभ ले सकते हैं। यात्रा का उद्देश्य राज्य की समृद्ध आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को मूर्त रूप देना है और इसमें सभी प्रमुख धार्मिक स्थानों की यात्राएं शामिल होंगी।
प्रवक्ता ने बताया कि यात्रा के दौरान सत्संग और कीर्तन आदि धार्मिक गतिविधियां भी होंगी। यात्रा पूरी होने के बाद सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद भी वितरित किया जाएगा। इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है और यदि जरूरत पड़ी तो इसे और बढ़ाया जाएगा। तीर्थ यात्रा पर जाने वालों के लिए पंजीकरण अप्रैल के आखिरी सप्ताह से शुरू होगा और यात्रा मई
में शुरू होगी।
स्कूल मेंटरशिप प्रोग्राम’ को हरी झंडी
मंत्रिमंडल ने राज्य में ‘स्कूल मेंटरशिप प्रोग्राम’ (विद्यार्थियों को प्रेरणा देने का प्रयास) लागू करने के लिए हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत आई.ए.एस./आई.पी.एस. अधिकारी राज्य भर के ग्रामीण स्कूलों को गोद लेंगे और विद्यार्थियों को अपने जीवन में ऊंचाइयां छूने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन देंगे। यह पायलट प्रोजेक्ट सबसे पहले राज्य के 80 ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ में शुरू होगा और प्रत्येक अधिकारी को पांच साल के लिए स्कूल आवंटित किया जाएगा, चाहे इस दौरान उनकी तैनाती कहीं भी हो। इस कदम से आई.ए.एस./आई.पी.एस. अधिकारियों का विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ सार्थक संवाद होगा, जिससे शिक्षा का माहौल और अधिक अनुकूल होगा। ये अधिकारी जहाँ विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रेरणा देंगे, वहीं शिक्षकों
के कौशल को निखारने के लिए प्रशिक्षण सुनिश्चित करेंगे। ये अधिकारी इन स्कूलों के विकास को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ये अधिकारी बॉस के रूप में नहीं, बल्कि मार्गदर्शक के रूप में प्रेरणा देंगे। उन्होंने कहा कि यह कार्य स्वैच्छिक होगा और इसमें रुचि रखने वाले अधिकारियों को अपनी पहले से निर्धारित ड्यूटी के साथ-साथ इस कर्तव्य को निभाना होगा।
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