70,000 से अधिक लावारिस शवों का सम्मानजनक संस्कार करने वाले शंटी मानवाधिकार व मानवता की सेवा का मिसाल
70,000 से अधिक लावारिस शवों का सम्मानजनक संस्कार करने वाले शंटी मानवाधिकार व मानवता की सेवा का मिसाल
ख़बर ख़ास चंडीगढ़ , पंजाब :
पंजाब सरकार ने शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक और पद्म श्री से सम्मानित समाजसेवी जतिंदर सिंह शंटी को पंजाब मानवाधिकार आयोग का नया सदस्य नियुक्त किया है। शंटी लंबे समय से मानवता, सेवा और मृतकों के सम्मान के लिए किए गए अपने अद्वितीय योगदान के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखते हैं।
जतिंदर सिंह शंटी ने अब तक 70,000 से अधिक लावारिस लोगों का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करवाया है। कोरोना महामारी के दौरान उनका यह मिशन और व्यापक हो गया, जब उन्होंने 4,200 से ज्यादा कोरोना पीड़ितों का भी सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया। शंटी पिछले 25 वर्षों से मृतकों के मानवाधिकारों की रक्षा को समर्पित हैं। उनका मानना है कि जैसे जीवित व्यक्ति को अधिकार मिलते हैं, वैसे ही मृत्यु के बाद सम्मान मिलना भी व्यक्ति का अधिकार है। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अपने एनजीओ के माध्यम से लावारिस शवों के अंतिम संस्कार, शव वाहन, मोबाइल मोर्चरी और गंगा में अस्थि विसर्जन जैसी सेवाएं उपलब्ध करवाईं।
शंटी केवल मृतकों के लिए ही नहीं, बल्कि जीवित मरीजों के अधिकारों के लिए भी लड़ते रहे हैं। उन्होंने कई ऐसे मामलों में निजी अस्पतालों का विरोध किया जिनमें बिल का भुगतान न होने पर मरीजों या शवों को रोका जाता था। वे मुफ्त एंबुलेंस सेवा और आपातकालीन बचाव कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं। उनकी यह सेवा भावना उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कोर ग्रुप मेंबर बनने तक ले गई, जहां उन्होंने पूरे देश में लावारिस शवों के मुफ्त अंतिम संस्कार की वकालत की और आतंकवाद विरोधी मानवाधिकार प्रतिक्रिया यूनिट बनाने का सुझाव भी दिया।
आपदा राहत कार्यों में भी शंटी की भूमिका उल्लेखनीय रही है। उन्होंने गुजरात भूकंप, 2004 की सुनामी, नेपाल भूकंप, चेन्नई और केरल की बाढ़ जैसी कई बड़ी आपदाओं में राहत कार्य संचालित किए। इन आपदाओं में उन्होंने न केवल मेडिकल सहायता और बचाव सेवाएं प्रदान कीं बल्कि मृतकों के सम्मानजनक प्रबंधन का भी दायित्व निभाया।
रक्तदान के क्षेत्र में भी शंटी रिकॉर्ड धारक हैं। वह 106 बार रक्तदान कर चुके हैं और 200 से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन कर चुके हैं। उनकी सेवाओं पर आधारित "एंजल्स फॉर द डेड" नामक डॉक्यूमेंट्री भी उनके कार्यों की गवाही देती है।
मानवता और सेवा के इस लंबे सफर के बाद पंजाब मानवाधिकार आयोग में उनकी नियुक्ति को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि उनके अनुभव और संवेदनशीलता से पंजाब में मानवाधिकार संरक्षण तंत्र और मजबूत होगा।
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