स्वैच्छिक भूमि खरीद नीति, 2025 के तहत भूमि मालिकों को दिए गए अधिकार
स्वैच्छिक भूमि खरीद नीति, 2025 के तहत भूमि मालिकों को दिए गए अधिकार
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विकास परियोजनाओं के लिए सरकारी विभागों, उसकी संस्थाओं अर्थात बोर्ड एवं निगमों तथा सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि खरीद के लिए नीति, 2025 को मंजूरी दी गई।
नीति का उद्देश्य, भूमि मालिकों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जिससे वे उपयुक्त खरीदारों की अनुपलब्धता के कारण अत्यधिक आवश्यकता के समय अपनी भूमि को कम दामों पर बेचने से बच सकें। इसके अलावा, भूमि मालिक अपनी भूमि की पेशकश करके और उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त करके सरकारी परियोजनाओं के निर्णय लेने में भाग ले सकते हैं।
राज्य सरकार ने विकास परियोजनाओं के लिए सरकार को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद के लिए नीति अधिसूचित की थी, ताकि भूमि मालिकों द्वारा भूमि की डिस्ट्रेस सेल को रोका जा सके और राज्य में विकास परियोजनाओं के स्थान का चयन करते समय उन्हें निर्णय लेने में शामिल किया जा सके। इसके पश्चात यह महसूस किया गया कि इस नीति को और व्यापक बनाने की आवश्यकता है, जिसमें भूमि के एकत्रीकरण के लिए एग्रीगेटर्स को प्रोत्साहन देने तथा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उनके पंजीकरण से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया जाए। इसके लिए एक समेकित नीति तैयार की गई है, जो वर्ष 2017 की नीति और उसमें समय-समय पर किए गए संशोधनों को प्रतिस्थापित करती है।
विकास परियोजनाओं के लिए सरकारी विभाग, उसकी संस्थाओं, यानी बोर्ड और निगमों और सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद नीति, 2025 में विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। इनमें, स्वीकार्य प्रस्ताव (एडमिशिबल ऑफर) की परिभाषा और एग्रीगेटर की परिभाषा में संशोधन किया गया है। भाग ए में प्रावधान किया गया है कि भूमि मालिक अपने हिस्से को आंशिक या पूर्ण रूप से बेच सकता है, जो पहले की नीति में उपलब्ध नहीं था। इसके अलावा, प्रस्तावित भूमि तक 5 करम का पहुंच मार्ग (एप्रोच रोड) सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है।
यह सुनिश्चित किया गया है कि भूमि का स्वामित्व स्पष्ट हो और भूमि कभी भी "शामलात देह" या "मुश्तरका मालिकान" आदि की श्रेणी में न आती हो। नाबालिग, मंदबुद्धि अथवा मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु न्यायालय की विधिवत स्वीकृति आवश्यक की गई है। भूमि की दरों की तर्कसंगतता संबंधित उपायुक्त द्वारा सुनिश्चित की जाएगी।
“हरियाणा रैशनलाईजेशन आयोग” की सिफारिशों को सैद्धांतिक मंजूरी
मंत्रिमंडल की बैठक में शहरी स्थानीय निकाय विभाग के लिए “हरियाणा रैशनलाईजेशन आयोग” की सिफारिशों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई।
हरियाणा सरकार द्वारा 28 मार्च 2023 को रैशनलाईजेशन आयोग का गठन विभिन्न सरकारी विभागों में पदों के पुनर्गठन की सिफारिशों हेतु किया गया था। इस आयोग का उद्देश्य सरकारी इकाइयों को अधिक कुशल, पारदर्शी और जन आवश्यकताओं व भविष्य की मांगों के अनुरूप बनाना है।
आयोग ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग सहित हरियाणा राज्य के 16 सरकारी विभागों और अन्य संस्थाओं से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं। सरकार ने निर्णय लिया है कि शुरुआत में “रैशनलाईजेशन आयोग” की सिफारिशों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पांच विभागों—जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, खनन एवं भूविज्ञान विभाग, बागवानी विभाग तथा शहरी स्थानीय निकाय विभाग में लागू किया जाएगा।
राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए प्रदेश की सभी नगरपालिकाओं में पदों का युक्तिकरण करते हुए उन्हें वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप करने का निर्णय लिया है। प्रदेश की कुल 87 नगरपालिकाओं में पदों की स्वीकृत संख्या को 31,533 से बढ़ाकर 36,381 कर दिया गया है, जिससे कुल 4,848 नए पदों की वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त, शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय, हरियाणा में वर्तमान में स्वीकृत 195 पदों की संख्या बढ़ाकर 335 की गई है।
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November 09, 2024
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