ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए वर्तमान राज्य सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। दूध की खरीद मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि के परिणामस्वरूप सरकार द्वारा की जा रही दूध की खरीद में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए वर्तमान राज्य सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। दूध की खरीद मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि के परिणामस्वरूप सरकार द्वारा की जा रही दूध की खरीद में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है।
खबर खास, शिमला :
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए वर्तमान राज्य सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। दूध की खरीद मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि के परिणामस्वरूप सरकार द्वारा की जा रही दूध की खरीद में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। मिल्कफेड अब प्रतिदिन दो लाख लीटर दूध की खरीद कर रहा है और दूध उत्पादकों के मासिक भुगतान को 8.70 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25.62 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जिससे दूध उत्पादकों को प्रत्यक्ष वित्तीय लाभ मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने दूध आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर की खरीद रही है। हिमाचल की 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। प्रदेश सरकार गांवों के लोगों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पैसा सीधे ग्रामीणों तक पहंुचाना सुनिश्चित कर रही है ताकि वह आर्थिक रूप से मजबूत हों। सरकार भविष्य में भी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण निर्णय लेती रहेगी।
उन्होंने कहा कि दूध की खरीद में पारदर्शिता लाने की दृष्टि से मिल्कफेड के माध्यम से राज्य भर में 455 स्वचालित दूध संग्रहण केंद्र स्थापित किए गए हैं। मिल्कफेड द्वारा राज्य के दुर्गम क्षेत्रों से किसानों के घर-द्वार से सीधे दूध एकत्रित कर उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। इसके अतिरिक्त मिल्कफेड किसानों को 5 लीटर क्षमता वाले डिब्बे भी उपलब्ध करवा रहा है।
प्रदेश सरकार के किसानों की आय में बढ़ौतरी करने के उद्देश्य से मिल्कफेड द्वारा 11 जिलों में डेयरी विकास कार्यक्रम भी क्रियान्वित किए जा रहे हैं, जिसके तहत 1148 ग्रामीण डेयरी सहकारी समितियां बनाई गई हैं तथा इसके अंतर्गत 47,905 सदस्यों को पंजीकृत किया गया है। इन पहलों का उद्देश्य ग्रामीण समुदाय के लोगों को आजीविका के साधन उपलब्ध करवाना और राज्य की डेयरी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने इस वित्त वर्ष से 500 करोड़ रुपये की हिम गंगा योजना भी शुरू की है। राज्य सरकार ने शिमला जिला के दत्तनगर में 25 करोड़ रुपये की लागत से 50,000 लीटर प्रतिदिन क्षमता का नया दूध प्रसंस्करण संयंत्र भी स्थापित किया है। इसके साथ वर्तमान राज्य सरकार कांगड़ा जिले के ढगवार में 1.50 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला एक नया प्रसंस्करण संयंत्र भी स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के यह प्रयास पशु पालकों को दूध के लिए लाभकारी मूल्य दिलाने में मील पत्थर साबित होंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्यों को बढ़ाने के साथ-साथ अनेक कदम उठा रही है, जिनमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना भी शामिल हैं।
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