टीबी रोगियों के लिए निर्बाध देखभाल सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने पर किया गया ध्यान केंद्रित
टीबी रोगियों के लिए निर्बाध देखभाल सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने पर किया गया ध्यान केंद्रित
खबर खास, चंडीगढ़/पंचकूला :
हरियाणा के स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. ब्रह्मदीप सिंह की अध्यक्षता में आज अंतर-राज्यीय सीमा पार रेफरल समन्वय उच्च स्तरीय बैठक में सीमा पार से आने वाले रोगियों के लिए निर्बाध टीबी देखभाल सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत दो व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पहल शुरू की गई। जिसमें सिलाई स्कूल व कार्यालय प्रशासन और टैली पाठ्यक्रम है। इनका उद्देश्य कौशल विकास के माध्यम से टीबी रोगियों और उनके परिवारों के पुनर्वास का समर्थन करना है।
इस बैठक का आयोजन रेड बिशप टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स, पंचकूला, में किया गया। इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, पंजाब, चंडीगढ़ (यूटी) के प्रतिनिधियों/राज्य टीबी अधिकारियों ने अपने जिला नोडल अधिकारियों (डीएनओ) और हरियाणा के जिला टीबी अधिकारियों के साथ चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री आरती सिंह राव की विशेषता वाले चार जागरूकता वीडियो जारी किए गए, जो हरियाणा के मजबूत प्रशासनिक संकल्प और टीबी मुक्त भारत के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करते हैं।
उन्होंने बताया कि पोषण और निक्षय मित्र पहल में हरियाणा को निक्षय मित्र पहल में अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए सराहना मिली। लगभग 7,000 स्वयंसेवकों ने पूरे राज्य में टीबी रोगियों को 2.13 लाख से अधिक पोषण बैग वितरित की हैं। राष्ट्रव्यापी 3 लाख से अधिक निक्षय मित्रों ने 32 लाख से अधिक खाद्य टोकरियाँ वितरित करने में योगदान दिया है, जो टीबी देखभाल में सामुदायिक समर्थन की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।
इसके अलावा, सामुदायिक जुड़ाव और टीबी चैंपियन में निक्षय मित्रों और सामुदायिक प्लेटफार्मों की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया गया। डॉ. सिंह ने निरंतर प्रेरणा और सहायता के लिए टीबी चैंपियन को व्यक्तिगत रोगियों के साथ जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस दौरान केंद्रीय टीबी प्रभाग, नई दिल्ली की उप महानिदेशक डॉ. उर्वशी सिंह ने समन्वित प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि टीबी रोगियों के पलायन से अक्सर उपचार और पोषण तक पहुंच में देरी होती है। निर्बाध देखभाल सुनिश्चित करना एक साझा जिम्मेदारी है। राज्य की सीमाओं के कारण किसी भी टीबी रोगी को पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
हरियाणा के राज्य टीबी अधिकारी डॉ. राजेश राजू द्वारा रेफरल और “स्थानांतरित-बाहर” रोगी समन्वय पर एक प्रस्तुति दी गई। अंतर-राज्य टीबी रोगी स्थानांतरण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जल्द ही तैयार की जाएगी और सभी भाग लेने वाले राज्यों के साथ साझा की जाएगी। बैठक का समापन 2025 तक टीबी मुक्त भारत की दिशा में सहयोगात्मक रूप से काम करने की एकीकृत प्रतिज्ञा के साथ हुआ, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि प्रशासनिक या भौगोलिक बाधाओं के कारण किसी भी मरीज को देखभाल से वंचित न किया जाए।
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