सीएम भगवंत मान की अध्यक्षता में पंजाब मंत्रिमंडल की गुरुवार को चंडीगढ़ में आयोजित एक अहम बैठक में हाउसिंग और शहरी विकास विभाग की ई-नीलामी नीति में संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है। सरकार के इस फैसले का उद्देश्य अधिकतम राजस्व पैदा करना है।
सीएम भगवंत मान की अध्यक्षता में पंजाब मंत्रिमंडल की गुरुवार को चंडीगढ़ में आयोजित एक अहम बैठक में हाउसिंग और शहरी विकास विभाग की ई-नीलामी नीति में संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है। सरकार के इस फैसले का उद्देश्य अधिकतम राजस्व पैदा करना है।
खबर खास, चंडीगढ़ :
सीएम भगवंत मान की अध्यक्षता में पंजाब मंत्रिमंडल की गुरुवार को चंडीगढ़ में आयोजित एक अहम बैठक में हाउसिंग और शहरी विकास विभाग की ई-नीलामी नीति में संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है। सरकार के इस फैसले का उद्देश्य अधिकतम राजस्व पैदा करना है।
गौर रहे कि बीते वर्ष सितंबर और अक्तूबर में की गई ई-नीलामी के बाद मिली फीडबैक के आधार पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण, एचएसवीपी और जयपुर विकास प्राधिकरण जैसी अन्य विकास प्राधिकरणों की ई-नीलामी नीतियों को ध्यान में रखने के बाद नीति में कुछ बदलाव किए गए हैं, जिसका उद्देश्य अधिकतम राजस्व उत्पन्न करना है। बड़े स्थानों को छोड़कर सभी प्रकार की संपत्तियों के लिए योग्यता शुल्कों में वृद्धि की गई है और लगातार दो नीलामियों के बाद न बिकने वाली संपत्तियों की आरक्षित कीमत को कम करने के लिए फॉर्मूला तैयार किया गया है।
बावजूद इसके यदि संशोधन के अनुसार दो लगातार नीलामियों में प्लॉट/स्थान की बिक्री नहीं होती है, तो संबंधित प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक के स्तर पर आरक्षित कीमत में 7.5 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। यदि अगली दो लगातार नीलामियों में भी प्लॉट/स्थान की बिक्री नहीं होती है, तो संबंधित प्राधिकरण में मुख्य प्रशासक के स्तर पर मूल तय आरक्षित कीमत में 7.50 प्रतिशत की और कटौती की जाएगी। लेकिन यदि अगली दो लगातार नीलामियों में भी प्लॉट/स्थान की बिक्री नहीं होती है, तो हाउसिंग और शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव के स्तर पर पहली नीलामी की मूल तय आरक्षित कीमत में 7.50 प्रतिशत की कटौती होगी। यदि ऊपर बताई गई आरक्षित कीमत में 22.50 प्रतिशत की कटौती के बावजूद संबंधित प्लॉट/स्थान की अगली दो लगातार नीलामियों में बिक्री नहीं होती है और संबंधित प्राधिकरण की यह धारणा बनती है कि आरक्षित कीमत में 22.50 प्रतिशत से अधिक कटौती की आवश्यकता है, तो संबंधित प्राधिकरण इस कटौती के लिए आवश्यक तर्क के साथ मामला वित्त और लेखा समिति/बजट और समीक्षा समिति के समक्ष रख सकती है।
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November 09, 2024
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