पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलवीर सिंह के निर्देशों पर, स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब में आने वाले दिनों में लू (हीटवेव) से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सावधानियों/परहेजों की विस्तृत सूची जारी की है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, हीटवेव तब मानी जाती है, जब किसी समतल क्षेत्र का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक हो जाए या सामान्य तापमान में 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो जाए।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से आने वाले दिनों में लोगों को लू से खुद को बचा कर रखने की सलाह
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलवीर सिंह के निर्देशों पर, स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब में आने वाले दिनों में लू (हीटवेव) से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सावधानियों/परहेजों की विस्तृत सूची जारी की है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, हीटवेव तब मानी जाती है, जब किसी समतल क्षेत्र का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक हो जाए या सामान्य तापमान में 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो जाए। यह उच्च तापमान हमारे शरीर की तापमान नियंत्रण प्रणाली को प्रभावित करके गर्मी से संबंधित कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
लोगों से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी का पालन करने की अपील करते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण निदेशक डॉ. हितिंदर कौर ने कहा कि सभी सिविल सर्जनों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि यह सुनिश्चित करें कि सभी अस्पताल गर्मी से प्रभावित मरीजों के उचित प्रबंधन के लिए पूरी तरह सुसज्जित हों। इसके अलावा, जिला अस्पतालों से लेकर सीएचसी स्तर और पीएचसी तक आवश्यक बेड आरक्षित किए गए हैं, जहां 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा, "सटीक निदान के साथ-साथ गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल अधिकारियों और विशेषज्ञों को रिफ्रेशर प्रशिक्षण और जागरूकता प्रदान की गई है।" सिविल सर्जनों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि आशा कार्यकर्ताओं सहित सभी पैरा-मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित और जागरूक किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लू से संबंधित एडवाइजरी हर व्यक्ति तक पहुंचे।
उन्होंने सलाह दी कि टीवी, रेडियो, अखबारों आदि के माध्यम से स्थानीय मौसम की खबरों पर ध्यान दिया जाए। इसके अलावा, मौसम विभाग की वेबसाइट [द्धह्लह्लश्च://द्वड्डह्वह्यड्डद्व.द्बद्वस्र.द्दश1.द्बठ्ठ/] से मौसम की नवीनतम जानकारी प्राप्त की जा सकती है। लोगों को गंभीर गर्मी की लहर की स्थितियों में पूर्वानुमानों के अनुसार अपनी दैनिक गतिविधियों की योजना बनानी चाहिए ताकि गर्मी के प्रभाव से बचा जा सके।
डॉ. कौर ने जोर देकर कहा कि नवजात शिशु, बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग व्यक्ति, मजदूर, मोटे व्यक्ति, किसी भी प्रकार की मानसिक बीमारी से पीडि़त लोग और कम प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति, खासकर दिल की बीमारियों या हाइपरटेंशन से पीडि़त लोगों को एडवाइजरी का सख्ती से पालन करना चाहिए, क्योंकि उन्हें लू का शिकार होने का खतरा अधिक होता है।
गर्मी से बचने के लिए क्या करें/क्या न करें
यह करें:
दिन के ठंडे समय के दौरान बाहरी काम करें, जैसे सुबह और शाम।
हर आधे घंटे बाद पानी पिएं, भले ही प्यास न हो। मिर्गी, दिल की बीमारी, गुर्दे या जिगर की बीमारी वाले लोग, जो तरल पदार्थों की सीमित मात्रा लेते हैं, उन्हें पानी की मात्रा बढ़ाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
बाहर काम करते समय हल्के/फीके रंग के पूरे बाजू वाले कपड़े पहनें। गर्मियों में केवल सूती कपड़े पहनने की कोशिश करें।
सीधी धूप से अपने सिर को ढकने के लिए छाता, टोपी, तौलिया, पगड़ी या दुपट्टा इस्तेमाल करें।
धूप में काम करने वाले लोगों को शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए छाया में आराम करना चाहिए या अपने सिर पर गीला कपड़ा रखना चाहिए।
धूप में बाहर जाते समय हमेशा पानी साथ रखें।
मौसमी फल और सब्जियां जैसे तरबूज, संतरा, अंगूर, खीरा और टमाटर खाएं, क्योंकि इनमें पानी की मात्रा अधिक होती है।
आपके घर या कार्यालय में सामान या भोजन की डिलीवरी के लिए आने वाले लोगों को पानी दें।
नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी जैसे घरेलू पेय पदार्थों का उपयोग करें और उनका सेवन बढ़ाएं।
अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए सनस्क्रीन और अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए काले चश्मे लगाएं।
थोड़ा-थोड़ा भोजन करें और बार-बार खाएं।
ठंडे पानी से बार-बार नहाएं।
छतों पर भूसा डालना या सब्जियां उगाना तापमान को कम रखता है।
यदि व्यायाम कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे शुरू करें और कुछ दिनों में इसे बढ़ाएं ताकि शरीर बढ़ते तापमान के अनुकूल हो सके।
प्याज का सलाद और कच्चा आम नमक व जीरे के साथ खाने जैसे पारंपरिक उपाय गर्मी के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
क्या न करें:
नंगे पैर बाहर न जाएं, धूप में बाहर जाते समय हमेशा जूते या चप्पल पहनें।
धूप में बाहर जाने से बचें, खासकर दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच।
गर्मियों के चरम समय के दौरान खाना पकाने से बचें, रसोई क्षेत्र को अच्छी तरह हवादार रखने के लिए दरवाजे और खिड़कियां खुली रखें।
शराब, चाय, कॉफी, और कार्बोनेटेड व अतिरिक्त मीठे पेय पदार्थों से बचें, क्योंकि ये वास्तव में शरीर के तरल पदार्थों को कम कर देते हैं।
तले हुए भोजन से बचें, बासी भोजन न खाएं।
बच्चों या पालतू जानवरों को बंद वाहन में न छोड़ें।
लक्षण जिनके लिए तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है:
बेचैनी, बोलने में कठिनाई, चिड़चिड़ापन, अटैक्सिया, सलर्ड स्पीच, दौरे पडऩा आदि के साथ मानसिक संतुलन में बदलाव।
गर्म, लाल और सूखी त्वचा।
जब शरीर का तापमान 40 डिग्री या इससे अधिक हो जाए।
गंभीर सिरदर्द।
चिंता, चक्कर आना, बेहोशी और हल्का सिरदर्द।
मांसपेशियों की कमजोरी या एक घंटे से अधिक समय तक ऐंठन।
उल्टियां।
दिल की धडक़न बढऩा।
सांस लेने में तकलीफ।
क्या करना है:
याद रखें, यदि आपको कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है, जिसका शरीर का तापमान बहुत अधिक है, जो बेहोश है, बेचैन है, या जिसे पसीना आना बंद हो गया है, तो तुरंत 104 मेडिकल हेल्पलाइन पर कॉल करें। एम्बुलेंस के आने तक, उसे छाया में ले जाकर, पंखा लगाकर, और यदि संभव हो, तो उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखें। जल्दी कार्रवाई से किसी की जान बच सकती है।
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