हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार ने विपक्ष के विरोध के बीच सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें विधेयक, हिमाचल पुलिस संशोधन विधेयक-2024 को ध्वनिमत से पास कर दिया है। अब इन्हें राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। जबकि लैंड सीलिंग एक्ट 1972 को संशोधन के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन, पुलिस संशोधन विधेयक भी किया पारित
खबर खास, धर्मशाला :
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार ने विपक्ष के विरोध के बीच सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें विधेयक, हिमाचल पुलिस संशोधन विधेयक-2024 को ध्वनिमत से पास कर दिया है। अब इन्हें राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। जबकि लैंड सीलिंग एक्ट 1972 को संशोधन के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
सरकारी कर्मचारियों के अनुबंध सेवाकाल को पदोन्नति और वित्तीय लाभ देने के लिए रेगुलर के बराबर नहीं समझे जाने के विधेयक को पारित करने से पहले विधानसभा सदन में चर्चा लाई गई। चर्चा के बाद विपक्ष के विरोध के बीच हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ।
भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल और जेआर कटवाल ने कहा कि 20 साल से किसी भी सरकार ने इसे बदलने की कोशिश नहीं की। कांग्रेस सरकार ऐसा करके कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ कर रही है। कांग्रेस ने इससे जुड़ा विधेयक बीते 18 दिसंबर को सदन में पेश किया था। आज इसे चर्चा के बाद पारित किया गया।
विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि अनुबंध कर्मचारी भी आयोग की ओर से ली गई परीक्षा के माध्यम से ही नियुक्त किए जाते हैं। यह कर्मचारी विरोधी निर्णय है। इसे प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर इस फैसले को वापस लिया जाए।
चर्चा के बाद अपने वक्तव्य में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि कुछ लोग कोर्ट में जाते हैं और कोर्ट से भी निर्णय आते हैं कि इस लाभ को पहले की तिथि से दिया जाए। यह एक त्रुटि है, उसे दुरुस्त किया जा रहा है। इस वजह से कितने ही कर्मचारियों को डिमोट करना होगा। कुछ कर्मचारियों ने ही यह मामला उठाया है। उन्होंने कहा कि इस त्रुटि की वजह से लाखों कर्मचारियों को डिमोट करने की नौबत नहीं आनी चाहिए। गौर रहे कि 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री सुक्खू ने सदन के पटल पर हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक रखा। इसके तहत हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को अनुबंध सेवाकाल का वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा। साल 2003 से यह व्यवस्था लागू होने जा रही है।
भू-जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक भी किया पारित
सदन में प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024 भी पारित किया गया। राधस्वामी सत्संग वाले विधेयक को विपक्ष ने सेलेक्ट कमेटी भेजने को कहा था। चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया। इस दौरान हल्की नोकझोंक भी हुई। अब इस विधेयक के तहत धार्मिक और चैरिटी के लिए 30 एकड़ जमीन या भूमि पर बने ढांचे को हस्तांतरित किया जा सकेगा। अगर नियमों की अवहेलना की गई तो सरकार ऐसी जमीन या इस पर बनी संरचना को अपने कब्जे में ले लेगी। इस संशोधन विधेयक के उद्देश्यों में सरकार ने स्पष्ट किया है कि राधास्वामी सत्संग ब्यास पूरे देश में अपना क्रियाकलाप चलाने वाला एक धार्मिक और आध्यात्मिक संगठन है। इसने राज्य में नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा के कई केंद्र स्थापित किए हैं। इस संस्था ने हमीरपुर जिला के भोटा में एक अस्पताल भी स्थापित किया है। यह लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पूर्ति कर रहा है। इस संगठन के पास लैंड सीलिंग एक्ट के तहत अनुमानित सीमा से अधिक जमीन है, जिसे अधिनियम की धारा पांच के खंड -झ के उपबंध के तहत छूट दी गई है।
हिमाचल विधानसभा में पहली बार शून्य काल
इससे पहले सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू हुई। इसके बाद शून्य काल हुआ। हिमाचल विधानसभा के इतिहास में पहली बार शून्य काल की व्यवस्था शुरू हुई। 2 दिन तक स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के चलते शून्य काल शुरू नहीं हो पाया था। इसकी शुरुआत बीजेपी विधायक जनकराज ने भेड़पालकों की समस्याओं को उठाते हुए की। इसके बाद केवल सिंह पठानिया और सुखराम चौधरी ने भी अपने क्षेत्रों से संबंधित विषय उठाए। शून्यकाल 12:00 से 12:30 बजे तक चला।
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