त्योहारों के मौसम के दौरान नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल को सतर्क और हर समय तैयार रहने के भी निर्देश
स्टाफ की कमी दूर करने हेतु पंजाब सरकार ने पदोन्नति से भर्ती के लिए 1600 पद और सीधी भर्ती के लिए 3400 कांस्टेबल पद सृजित किए: डीजीपी
खबर खास, चंडीगढ़ :
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की पंजाब को सुरक्षित राज्य बनाने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, डीजीपी पंजाब गौरव यादव ने आज संगठित अपराध, नशीले पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के विरुद्ध चल रही कार्रवाइयों की समीक्षा की। उन्होंने त्योहारों के मौसम 2025 को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए व्यापक एक्शन प्लान बनाने हेतु स्टेशन हाउस अफसर (एसएचओज) रैंक तक के सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा राज्यस्तरीय कानून-व्यवस्था बैठक की अध्यक्षता की।
डीजीपी ने सभी डीआईजीज, सीपीज/एसएसपीज, एसपीज/डीएसपीज और एसएचओज को संबोधित करते हुए कहा कि वे त्योहारों के मौसम में शांति, सद्भाव और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह सतर्क और वचनबद्ध रहें। इस बैठक में एडीजीपी एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स प्रमोद बान, एडीजीपी काउंटर इंटेलिजेंस अमित प्रसाद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
डीजीपी ने अधिकारियों को गैंगस्टरों और समाजविरोधी तत्वों से निडर होकर निपटने के निर्देश दिए। उन्होंने चेतावनी दी कि कांस्टेबल से लेकर एसएसपी तक हर अधिकारी की जिम्मेदारी तय होगी और गैंगस्टर व नशे के मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डीजीपी ने “युद्ध नशों विरुद्ध” मुहिम के अंतर्गत किए गए सराहनीय कार्यों की प्रशंसा की, जिसके परिणामस्वरूप एनडीपीएस मामलों में दोषसिद्धि की दर 87 प्रतिशत रही है।
उन्होंने खेपों के स्रोतों का पता लगाने और “बड़ी मछलियों” तक पहुँचने के लिए पेशेवर जांच की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। डीजीपी ने निर्देश दिया कि कुख्यात सप्लायरों के ज़ब्त किए गए मोबाइल फोन फॉरेंसिक जांच हेतु भेजे जाएं ताकि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके और आगे गिरफ्तारियां की जा सकें।
उन्होंने अधिकारियों को एनडीपीएस एक्ट की धारा 64ए का अधिकतम उपयोग करने के निर्देश भी दिए। इस धारा के तहत कम मात्रा में हेरोइन या नशीले पदार्थों के साथ पकड़े गए नशा पीड़ितों को पुनर्वास का अवसर दिया जाता है।
डीजीपी ने “सेफ पंजाब एंटी-ड्रग्स चैटबॉट” के माध्यम से किए जा रहे कार्यों की भी सराहना की। इस प्लेटफॉर्म से मिली सूचनाओं के आधार पर एफआईआर दर्ज होने की दर 33-35 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि जनता से मिली सूचना को गंभीरता से लेकर तुरंत कार्रवाई अमल में लाई जाए।
स्टाफ की कमी से निपटने के लिए डीजीपी ने बताया कि पंजाब सरकार ने 1600 पद सृजित किए हैं, जिनमें 150 इंस्पेक्टर, 450 सब-इंस्पेक्टर और 1000 एएसआई शामिल हैं, जिन्हें पदोन्नति से भरा जाएगा। इसके अलावा, अगले वर्ष सीधी भर्ती से 3400 कांस्टेबल पद भरे जाएंगे तथा जिला कैडर के 4500 अन्य पद भी सृजित किए गए हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से भरा जाएगा। उन्होंने सीपी/एसएसपी को स्रोत ऑडिट करने और एनडीपीएस मामलों से संबंधित कार्यभार कम करने के लिए थानों में हेड कांस्टेबल की नियमित तैनाती के निर्देश दिए।
संगठित अपराध पर कार्रवाई की समीक्षा करते हुए, डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को गैंगस्टरों के सहयोगियों की पहचान कर उन्हें जेल भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस बल को गैंगस्टरों का निडरता से सामना करना होगा और विभाग की ओर से उन्हें पूरी सुरक्षा व समर्थन मिलेगा।
डीजीपी ने पंजाब सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति दोहराते हुए कहा कि भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए हर अधिकारी/कर्मचारी, चाहे उसका कोई भी रैंक क्यों न हो, पर कड़ी और मिसाल कायम करने वाली कार्रवाई की जाएगी।
नागरिक-केन्द्रित पुलिसिंग पर ज़ोर देते हुए, डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि पंजाब पुलिस का मुख्य उद्देश्य जनता को न्याय प्रदान करना है। उन्होंने अधिकारियों को दफ्तरों में मौजूद रहने, नागरिकों से मिलने, उनकी शिकायतें सुनने और फोन कॉल का जवाब देने की सलाह दी।
इस बैठक के दौरान डीजीपी ने राज्यभर के एसएसपीज, एसपीज/डीएसपीज और एसएचओज के साथ संवाद किया और उनके क्षेत्रीय अनुभव व कार्रवाइयों की जानकारी ली।
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