उड़ीसा स्थित आईआईएम संबलपुर ने अपने 9वें दीक्षांत समारोह के आयोजन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। इस अवसर पर 370 छात्रों ने अपनी शैक्षणिक यात्रा को पूर्ण किया। यह पहली बार था जब आईआईएम संबलपुर में पांच विभिन्न कार्यक्रमों के छात्र एक साथ स्नातक हुए।
किसी भी आईआईएम के इतिहास में पहली बार ऐसी उपल्ब्धि किसी के हुई नाम
खबर खास, संबलपुर (उड़ीसा)
उड़ीसा स्थित आईआईएम संबलपुर ने अपने 9वें दीक्षांत समारोह के आयोजन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। इस अवसर पर 370 छात्रों ने अपनी शैक्षणिक यात्रा को पूर्ण किया। यह पहली बार था जब आईआईएम संबलपुर में पांच विभिन्न कार्यक्रमों के छात्र एक साथ स्नातक हुए। इनमें एमबीए बैच के 316 छात्र (2023-25), कार्यकारी एमबीए के दूसरे बैच के 38 छात्र (2022-24), वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए एमबीए के पहले बैच के 10 छात्र (2023-25), 6 पीएचडी शोधार्थी, और वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए पीएचडी कार्यक्रम के छात्र शामिल थे।
इस कार्यक्रम में पीए के प्रधान सचिव डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। समारोह में पद्मश्री अरुंधति भट्टाचार्य, अध्यक्ष, गवर्निंग बोर्ड, आईआईएम संबलपुर एवं चेयरमैन एवं सीईओ, सेल्सफोर्स इंडिया एवं साउथ एशिया ने भी शिरकत की।
इस मौके पर डा.मिश्रा ने अपने संबोधन में आईएम संबलपुर की एमबीए कक्षा में 60 फीसद महिलाओं की भागीदारी की सराहना की और सुझाव दिया कि यह अनुपात 80% तक पहुँचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएम संबलपुर ने अपने दस वर्षों के कार्यकाल में नवाचार, ईमानदारी और समावेशिता जैसे मूल्यों के साथ अपनी पहचान बनाई है। संस्थान ने शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल किया है, जो एक बड़ी पहल है। पश्चिम ओडिशा के बुनकरों के लिए शुरू किया गया मास्टर वीवर्स प्रोग्राम क्षेत्रीय विकास में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।
डॉ. मिश्रा ने छात्रों से कहा, दुनिया आज भू-राजनीतिक अस्थिरता और तकनीकी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट, संरक्षणवादी नीतियाँ, और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियाँ हमारे सामने हैं। इस यात्रा के दौरान, एक बात स्पष्ट है कि भविष्य केवल विरासत में नहीं मिलेगा; इसे बनाया जाएगा। आपको अपने भविष्य को आकार देने के लिए पहल करनी चाहिए और आज आपने जो ठोस आधार स्थापित किया है, उस पर निर्माण करते हुए कई और उपलब्धियां हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
पद्मश्री अरुंधति भट्टाचार्य ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, कि शिक्षा एक जीवन भर की यात्रा है। दुनिया तेजी से बदल रही है और आपको कई अवसरों के साथ-साथ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। लेकिन आपने जो ज्ञान और कौशल अर्जित किया है, वह आपको किसी भी बाधा से निपटने के लिए तैयार करता है। उन्होंने कहा, हर दिन उठिए और संकल्प कीजिए कि आप खुद का बेहतर संस्करण बनेंगे, विशिष्ट बनेंगे, पूरी दुनिया का सामना करेंगे और हर दिन अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे, जैसे कि यह आपके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण दौड़ हो।
आईआईएम संबलपुर के निदेशक प्रो. महादेव जायसवाल ने स्वागत भाषण में संस्थान की पिछले एक दशक की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा, कि इस वर्ष दीक्षांत समारोह के साथ हम आईआईएम संबलपुर की स्थापना के 10 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। यह पहली बार है कि हमारे पास पांच अलग-अलग कार्यक्रमों एमबीए, एग्जीक्यूटिव एमबीए, वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए एमबीए, पीएचडी और वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए पीएचडी के छात्र अपनी-अपनी डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा, यह भारत के किसी भी आईआईएम या अग्रणी बी-स्कूल के इतिहास में पहला उदाहरण है, जहां स्नातक करने वाली महिलाओं की संख्या पुरुष छात्रों से अधिक है, जिसमें 60% महिलाएं और 40% पुरुष हैं।”
इन सात को मिले स्वर्ण पदक
दीक्षांत समारोह में कुल सात पदक प्रदान किए गए, जिनमें एमबीए प्रोग्राम में, उत्कृष्ट शैक्षणिक
उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित चेयरमैन गोल्ड मेडल विपुल शर्मा को दिया गया और असाधारण
शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए डायरेक्टर गोल्ड मेडल नीलाक्ष दीक्षित को दिया गया। शैक्षणिक उपलब्धि, पाठ्येतर गतिविधियों और संस्था निर्माण गतिविधियों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउंडर प्रदर्शन के लिए आईआईएम संबलपुर स्वर्ण पदक राघवेंद्र पटेल को दिया गया। कार्यकारी एमबीए प्रोग्राम के लिए, असाधारण शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित चेयरमैन गोल्ड मेडल राजेश कुमार साहू को दिया गया और असाधारण शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए डायरेक्टर गोल्ड मेडल समीर बाबूलाल मेहर को दिया गया। कामकाजी पेशेवरों के लिए एमबीए प्रोग्राम में, शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए प्रतिष्ठित चेयरमैन गोल्ड मेडल शिवानी नागपाल को दिया गया और शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए डायरेक्टर गोल्ड मेडल अभिषेक कुमार सिंह को दिया गया।
दीक्षांत समारोह में छात्रों की उत्कृष्ट शैक्षणिक उपलब्धियों को भी मान्यता देते हुए उन्हें एमबीए,
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