हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि विधायिका लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ है और सभी सदस्यों का कर्तव्य है कि इसे और अधिक सशक्त बनाएं। निर्वाचित सदस्यों की भूमिका केवल कानून बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी सदस्यों को अपने क्षेत्र के नागरिकों की आवाज को बुलंद करने और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी प्रयास करने की भी जरूरत है।
हरियाणा विधानसभा को 'मैं' के भाव से नहीं 'हम' के भाव से चलाया जाएगा – सैनी
मुख्यमंत्री ने हरियाणा विधानसभा सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम में की शिरकत
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि विधायिका लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ है और सभी सदस्यों का कर्तव्य है कि इसे और अधिक सशक्त बनाएं। निर्वाचित सदस्यों की भूमिका केवल कानून बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी सदस्यों को अपने क्षेत्र के नागरिकों की आवाज को बुलंद करने और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी प्रयास करने की भी जरूरत है। मुख्यमंत्री शुक्रवार को यहां हरियाणा विधानसभा में संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) लोकसभा के सहयोग से हरियाणा विधान सभा के सदस्यों के लिए
आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा उद्घाटन करने उपरांत सत्र को संबोधित कर रहे थे।
सैनी ने कहा कि जनता ने हम सभी को एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपकर सदन में भेजा है। सभी सदस्य भिन्न पार्टियों और मतों के होते हुए भी हरियाणा प्रदेश की जनता के प्रतिनिधि हैं। इसलिए इस सदन में प्रवेश करते ही सदस्यों की निष्ठा सदन को चलाने और इसकी गरिमा को बनाए रखने तथा इसके गौरव को बढ़ाने के प्रति होनी चाहिए। सदन को सुचारू ढंग से चलाने की जिम्मेदारी व कर्तव्य हम सबका है। उन्होंने कहा कि जब सदस्य सदन में बोलते हैं, तो याद रखिए कि वे केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि लाखों नागरिकों की आवाज हैं।
हरियाणा विधानसभा को 'मैं' के भाव से नहीं 'हम' के भाव से चलाया जाएगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन का नेता होने के नाते वे विश्वास व्यक्त करते हैं कि इस सदन में स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन किया जाएगा। सदन को 'मैं' के भाव से नहीं 'हम' के भाव से चलाया जाएगा। हर सदस्य की बात को गंभीरता से लिया जाएगा।
सैनी ने कहा कि हम पक्ष-विपक्ष के सदस्य बाद में हैं, इस गरिमामयी सदन के सदस्य पहले हैं। हरियाणा विधानसभा में स्वस्थ विधायी रीति-नीतियों और परम्पराओं को तो अपनाया ही जाएगा, कुछ नए सिद्धांतों और मर्यादाओं को भी स्थापित किया जाएगा। जिस प्रकार हरियाणा विकास व जन कल्याण के क्षेत्रों में आज अपनी पहचान रखता है, उसी प्रकार विधायी कार्यों के क्षेत्र में भी हमारी अलग पहचान बनेगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के हित में कानून व प्रक्रियाएं बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हरियाणा विधानसभा की ज्यादा से ज्यादा सीटिंग हो। 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन उपरांत हमने यह संकल्प लिया था कि हम सब राजनीति से ऊपर उठकर सदन में काम करने पर बल देंगे। इसके लिए अधिक से अधिक प्रश्नों का जवाब तलब हो और अधिक से अधिक सार्थक विषयों पर चर्चा हो, बहस हो, असहमति भी हो, लेकिन सबका लक्ष्य जनता की भलाई हो।
उन्होंने कहा कि 14वीं विधानसभा में 16 सत्रों में 76 सीटिंग हुईं। इससे पहले भी 13वीं विधानसभा में 15 सत्र और 84 सीटिंग, 12वीं विधानसभा में 11 सत्र और 56 सीटिंग, 11वीं विधानसभा में 12 सत्र और 70 सीटिंग तथा 10वीं विधानसभा में 14 सत्रों में 66 सीटिंग हुई थी। सदन में यह सकारात्मक माहौल केवल इसलिए संभव हुआ है कि सत्तापक्ष के साथ-साथ विपक्ष ने भी सदन को चलाने में रुचि दिखाई है। अब 15वीं विधानसभा में भी हम सब इसी प्रकार प्रदेश हित में खुलकर सकारात्मक चर्चा करेंगे और एक-दूसरे की बात को सम्मान देंगे।
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी विधायक मर्यादित आचरण का पालन करेंगे और अनुशासन के साथ सदन की गरिमा को बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन संवाद में शालीनता और सकारात्मकता बनी रहनी चाहिए। जब 'देश पहले' की भावना से काम किया जाएगा, तो हर निर्णय देशहित में होगा।
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