पूर्व जत्थेदार रघुबीर सिंह की कार्यशैली पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल
पूर्व जत्थेदार रघुबीर सिंह की कार्यशैली पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल
श्री दरबार साहिब के प्रबंधन में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। दरबार साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। उनकी अनुपस्थिति में अब ज्ञानी अमरजीत सिंह नए हेड ग्रंथी की जिम्मेदारी संभालेंगे। हेड ग्रंथी का पद दरबार साहिब में सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक सेवाओं में शामिल होता है, इसलिए यह निर्णय सिख संगत और पंथक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह बदलाव ऐसे समय में सामने आया है जब पिछले कुछ महीनों में ज्ञानी रघुबीर सिंह की कार्यशैली और नेतृत्व को लेकर एसजीपीसी के भीतर असंतोष की स्थिति बनी हुई थी। मार्च 2025 में SGPC ने उन्हें अकाल तख्त जत्थेदार के पद से भी हटा दिया था और उनकी जगह ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज को कार्यकारी जत्थेदार नियुक्त किया गया था। एसजीपीसी ने यह कदम पंथिक मर्यादा और संगठनात्मक अनुशासन को देखते हुए उठाया था।
हालांकि, जत्थेदार पद से हटाए जाने का यह फैसला पंथक संगठनों और कई समूहों द्वारा आलोचना का कारण बना। कुछ संगठनों ने एसजीपीसी के निर्णय को संगत की भावनाओं के खिलाफ बताया और इसे राजनीतिक प्रभाव में लिया गया निर्णय करार दिया। सोशल मीडिया और पंथक चर्चाओं में इस मुद्दे को लेकर काफी बहस हुई, जिससे एसजीपीसी और विभिन्न पंथक धड़ों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई।
एसजीपीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह ने उस समय कहा था कि वर्तमान परिस्थितियों में पंथ गंभीर चुनौतियों से गुजर रहा है। देश और विदेश दोनों जगह सिख पहचान पर संकट गहरा रहा है, जबकि विरोधी ताकतें सिख संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। उनके अनुसार ऐसे संवेदनशील समय में जत्थेदार की भूमिका निर्णायक होती है, लेकिन ज्ञानी रघुबीर सिंह ने अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से नहीं निभाया।
एसजीपीसी का कहना था कि ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कई मौकों पर अपनी बात और निर्णय बदले, जिससे पंथक नेतृत्व पर सवाल उठने लगे। समिति का मानना था कि उनकी शैली श्री अकाल तख्त साहिब जैसे सर्वोच्च धार्मिक पद की गरिमा के अनुरूप नहीं थी। इसके अलावा, पंथ के खिलाफ हो रही कई गंभीर घटनाओं पर उनकी चुप्पी और निष्क्रियता को भी समिति ने गंभीरता से लिया। इन्हीं कारणों से उन्हें जत्थेदार पद से हटाया गया था।
अब हेड ग्रंथी के रूप में उनकी छुट्टी और अमरजीत सिंह की नियुक्ति को एसजीपीसी के प्रशासनिक सुधारों का अगला चरण माना जा रहा है। नई नियुक्ति के साथ एसजीपीसी ने संकेत दिया है कि दरबार साहिब की धार्मिक और मर्यादा संबंधी सेवाओं में अनुशासन और स्थिरता बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है। नई जिम्मेदारी संभालते ही ज्ञानी अमरजीत सिंह से संगत को काफी उम्मीदें हैं, और आने वाले दिनों में उनकी भूमिका पर सभी की नजरें रहेंगी।
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