यह कलात्मक रचना श्री गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी के आगामी 350वें शहीदी वर्ष को समर्पित है और इसमें गुरु साहिब के चरण स्पर्श प्राप्त धार्मिक स्थलों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है।
यह कलात्मक रचना श्री गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी के आगामी 350वें शहीदी वर्ष को समर्पित है और इसमें गुरु साहिब के चरण स्पर्श प्राप्त धार्मिक स्थलों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है।
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब के राज्य सूचना आयुक्त हरप्रीत संधू ने आज नौवें पातशाह श्री गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी वर्ष को समर्पित अपनी चित्रकला संग्रह पुस्तक “गुरु तेग़ बहादुर साहिब की अध्यात्मिक यात्रा” उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ के मुख्य न्यायाधीश के चैंबर में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू को भेंट की। यह कलात्मक रचना श्री गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी के आगामी 350वें शहीदी वर्ष को समर्पित है और इसमें गुरु साहिब के चरण स्पर्श प्राप्त धार्मिक स्थलों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है।
“गुरु तेग़ बहादुर साहिब की अध्यात्मिक यात्रा” पुस्तक में गुरु साहिब की यात्राओं, आध्यात्मिक शिक्षाओं और महान शहादत को चित्रों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। तस्वीरों और संक्षिप्त ऐतिहासिक विवरण के कलात्मक संयोजन के माध्यम से यह पुस्तक गुरु साहिब के विश्व-भाईचारे, करुणा और धार्मिक स्वतंत्रता के संदेश को लोगों तक पहुँचाती है। लेखक हरप्रीत संधू ने इन पवित्र स्थलों के सार को बहुत ही बारीकी से उकेरा है और सिख विरासत तथा इतिहास के प्रति जागरूकता फैलाते हुए पाठकों के लिए एक आध्यात्मिक और कलात्मक यात्रा तैयार की है। नौवें सिख गुरु साहिब की अद्वितीय शहादत को श्रद्धांजलि के रूप में पुस्तकों का एक सेट उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की लाइब्रेरी को भेंट किया गया।
न्यायमूर्ति शील नागू ने पुस्तक की सराहना करते हुए गुरु तेग़ बहादुर जी की पवित्र यात्रा को कलात्मक रूप में अभिव्यक्त करने के लिए राज्य सूचना आयुक्त के समर्पित प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक नौवें सिख गुरु साहिब — जो वीरता और सत्य के प्रतीक हैं — की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने तथा इसे विश्वभर के लोगों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। मुख्य न्यायाधीश ने इस पहल के शैक्षिक और सांस्कृतिक महत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी कलात्मक रचनाएँ विभिन्न समुदायों को भारत की आध्यात्मिक और नैतिक धार्मिक विरासत से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम हैं।
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