स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि इस पुण्य कार्य में एक सेवक के रुप में सेवा करने का मिला अवसर - राज्यपाल पंजाब इस अवसर पर पद्मश्री भाई हरजिंदर सिंह जी श्रीनगर वाले ने भावपूर्ण शब्द कीर्तन गायन किया
स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि इस पुण्य कार्य में एक सेवक के रुप में सेवा करने का मिला अवसर - राज्यपाल पंजाब इस अवसर पर पद्मश्री भाई हरजिंदर सिंह जी श्रीनगर वाले ने भावपूर्ण शब्द कीर्तन गायन किया
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब राज भवन द्वारा कल शाम सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग़ बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ को समर्पित एक आध्यात्मिक और भावपूर्ण शब्द कीर्तन का आयोजन किया गया। यह पावन समारोह गुरु नानक देव ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ, जहाँ संगत और गणमान्य अतिथि बड़ी श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिकता के भाव से जुड़े।
इस पावन शबद कीर्तन का गायन पद्मश्री भाई हरजिंदर सिंह जी श्रीनगर वाले द्वारा की गई, जो गुरबानी कीर्तन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित रागी हैं। उनका भावनाओं से परिपूर्ण और आध्यात्मिकता से ओतप्रोत कीर्तन गायन न केवल गुरुजी की शिक्षाओं को जीवंत कर गईं, बल्कि समाज के प्रति निःस्वार्थ सेवा और बलिदान की भावना को भी गहराई से अनुभव करवाने वाली रहीं, जो श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के जीवन का सार है। उनके प्रत्येक सुर में बलिदान का साहस, शहादत की महिमा, सत्यमार्ग की ज्योति और वे नैतिक मूल्य झलकते रहे, जिनके लिए गुरु साहिब ने अपना जीवन समर्पित किया।
इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल एवं केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने उपस्थित संगत से अपने भावों को साझा करते हुए कहा कि मैं स्वयं को सबसे सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे इस पावन अवसर पर एक सेवक के रुप में सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ।
सिख दर्शन की विनम्रता और सर्वसमावेशी भावना को दर्शाते हुए कटारिया ने अपनी पत्नी अनिता कटारिया तथा अन्य पारिवारिक सदस्यों के साथ अत्यंत श्रद्धा और एकाग्रता से शबद कीर्तन श्रवण किया। इस आध्यात्मिक वातावरण और अवसर की ऐतिहासिक महत्ता से भाव-विभोर होकर उन्होंने कहा कि मैं स्वयं को परम सौभाग्यशाली मानता हूँ जिसे ईश्वर ने इस पवित्र दिन को एक सेवक के रुप में सेवा करने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए ‘सरबत दा भला’ की महान परंपरा में एक आध्यात्मिक संतोष का क्षण है।
इस अवसर पर पूरा राज भवन परिसर एक पवित्र स्थल में परिवर्तित हो गया, जहाँ वाहेगुरु सिमरन और गुरबानी पाठ की दिव्य ध्वनियाँ गूंजती रहीं। राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया ने न केवल संगत के साथ बैठकर विनम्र भाव से कीर्तन का श्रवण किया, बल्कि लंगर सेवा में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। यह उनके द्वारा सिख धर्म की समतावादी भावना का सम्मान था, जो सिखाता है कि वाहेगुरु की नजर में सभी एक समान हैं।
उनका यह विनम्र और एकता का भाव दर्शाने वाला कदम इस बात को दोहराता है कि गुरु की उपस्थिति में कोई ऊँच-नीच का भाव नहीं होता, केवल भक्ति और समर्पण होता है।
इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल ने ‘‘स्पिरिचुअल जर्नी ऑफ गुरु तेग़ बहादुर साहिब‘‘ नामक एक चित्रात्मक पुस्तक का विमोचन भी किया, जिसे हरप्रीत संधू, राज्य सूचना आयुक्त, पंजाब द्वारा लिखा गया है। यह पुस्तक गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी के 350वें शहादत वर्ष को समर्पित है।
राज्यपाल ने इस पावन अवसर पर पद्मश्री भाई हरजिंदर सिंह जी श्रीनगर वाले और उनके जत्थे के सदस्यों, जिन्होंने भावपूर्ण शबद कीर्तन प्रस्तुत किया, को सम्मानित किया। साथ ही, श्री एस.एस. बेहल (अध्यक्ष) और गुरुद्वारा पातशाही दसवीं, सेक्टर 8, चंडीगढ़ के ग्रंथी सिंहों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब और पालकी साहिब की सेवा निभाई।
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