इस मुहिम के दौरान डैज़र्ट कूलरों, फूलों के गमलों और पक्षियों के लिए पानी के कंटेनरों आदि में मच्छर के लार्वे की मौजूदगी का पता लगा, जिससे इसके तुरंत रोकथाम की ज़रूरत महसूस की गई।