हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती योजना के पहले चरण में किसानों और अधिकारियों के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित कर रही है। जबकि दूसरे चरण में प्राकृतिक खेती के उत्पादों के प्रमाणीकरण, ब्रांडिंग/पैकेजिंग और विपणन के लिए व्यापक कदम उठाएगी।
किसानों को उत्पादों की बेहतर कीमत दिलाने में मदद करने के लिए हैफेड और एचएआईसी को कृषि उपज संगठनों/प्राकृतिक कृषि समूहों के साथ जोड़ेगी
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती योजना के पहले चरण में किसानों और अधिकारियों के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित कर रही है। जबकि दूसरे चरण में प्राकृतिक खेती के उत्पादों के प्रमाणीकरण, ब्रांडिंग/पैकेजिंग और विपणन के लिए व्यापक कदम उठाएगी। इसके अलावा ,राज्य सरकार किसानों को उनके प्राकृतिक रूप से उत्पादित उत्पादों की बेहतर कीमत दिलाने में मदद करने के लिए हैफेड और हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कोर्पोरशन (एचएआईसी) को कृषि उपज संगठनों/प्राकृतिक कृषि समूहों के साथ जोड़ेगी।
राणा आज हरियाणा विधानसभा में "प्राकृतिक खेती के महत्व" से संबंधित ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का उत्तर दे रहे थे।
कृषि मंत्री ने बताया कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए भारत सरकार द्वारा हरियाणा राज्य बीज प्रमाणीकरण एजेंसी को नामित किया गया है। राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती उत्पादों के लिए एमएसपी के फार्मूले/निर्धारण का पता लगाने या किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने की शुरुआत में उपज के नुकसान की भरपाई के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक समिति भी गठित की है।
उन्होंने प्राकृतिक खेती की दिशा में किसानों का रुझान पैदा करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा उठाए कदमों की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार वर्ष 2022-23 से राज्य योजना "सतत कृषि रणनीतिक पहलों को बढ़ावा देने और किसान कल्याण कोष के तहत प्राकृतिक खेती को लागू कर रही है, ताकि किसानों को रसायन मुक्त कृषि अपनाने के लिए जागरूक किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा देना ,खेती की लागत में कमी लाना और खेती को एक स्थायी आजीविका विकल्प बनाना ,मिट्टी की उर्वरता, सूक्ष्म वनस्पतियों और जीवों, जल धारण क्षमता, जल घुसपैठ और छिद्रण में सुधार करना , रसायन मुक्त कृषि को बढ़ावा देना ,मिट्टी, पर्यावरण और जलीय प्रदूषण में कमी लाना , प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए कृषक समुदाय में जागरूकता पैदा करना है।
श्याम सिंह राणा ने बताया कि प्राकृतिक खेती योजना के इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान, किसान गोष्ठियां, कार्यशालाएं, प्राकृतिक खेती मेले, अधिकारियों और किसानों के लिए एक्सपोजर विज़िट शुरू किए हैं। वर्ष 2022 से अब तक 720 किसान गोष्ठियां, 22 कार्यशालाएं, एक राज्य स्तरीय मेला आयोजित किया जा चुका है और इन कार्यक्रमों में 35,000 से अधिक किसानों ने भाग लिया है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्राकृतिक खेती की पद्धतियां प्रचलित रसायन आधारित खेती से काफी अलग हैं, इसलिए नई प्रणाली को अपनाने में आने वाली चुनौतियों को देखते हुए किसानों को व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इसलिए, राज्य सरकार ने किसानों और कृषि विभाग के अधिकारियों की जागरूकता और प्रशिक्षण कौशल को बढ़ाने के लिए गुरुकुल-कुरुक्षेत्र, हमेटी-जींद, घरौंडा-करनाल और मंगियाना-सिरसा में चार प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2022 से अब तक 9707 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। प्रशिक्षुओं में युवा किसान, महिलाएँ और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। इसके अलावा, हमेटी-जींद ने राज्य के 6,234 सरपंचों को एक दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया है। श्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि 1,77,892 किसानों ने प्राकृतिक खेती में रुचि दिखाई है और 2,63,979 एकड़ क्षेत्र के लिए प्राकृतिक खेती पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है। इसमें से 16800 एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए 10474 किसानों का सत्यापन किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार के अनुदान और प्रोत्साहन राशि प्रदान करती है। उन्होंने जानकारी दी कि किसान को कच्चे माल के भंडारण/प्रसंस्करण के लिए 4 ड्रम की खरीद के लिए प्रति किसान 3,000 रुपये प्रदान किये जाते हैं। इसी प्रकार , 2 एकड़ या उससे अधिक क्षेत्र में प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को एक देसी गाय की खरीद पर 25000 रुपये की सब्सिडी दी जाती थी जो अब वर्ष 2025 से यह सब्सिडी बढ़ाकर 30000 रुपये (1 एकड़) कर दी गई है। प्राकृतिक रूप से उत्पादित उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए प्रति किसान 20,000 रुपये (गतिविधि के आधार पर 25 किसान) का प्रावधान है।
उन्होंने आगे बताया कि इस योजना के तहत वर्ष 2022 से अब तक कुल 14.77 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं, जिसमें 492 देसी गायों की खरीद के लिए 1.23 करोड़ रुपये और 2500 किसानों को ड्रम खरीदने के लिए 75 लाख रुपये शामिल हैं।
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