CBI की जाँच से लेकर दो FIR के विवाद तक—भुल्लर की याचिका में चार प्रमुख तर्क, हाईकोर्ट में आज सुनवाई
CBI की जाँच से लेकर दो FIR के विवाद तक—भुल्लर की याचिका में चार प्रमुख तर्क, हाईकोर्ट में आज सुनवाई
ख़ास खबर, चंडीगढ़:
पंजाब पुलिस के पूर्व DIG हरचरण सिंह भुल्लर ने अपनी गिरफ्तारी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए CBI की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। रिश्वतखोरी और आय से अधिक संपत्ति रखने के मामलों में CBI द्वारा की गई गिरफ्तारी और जांच को भुल्लर ने क़ानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण बताया है। उनकी नई याचिका में चार मुख्य तर्क शामिल हैं, जिन्हें वे अपनी गिरफ्तारी और जांच को अवैध साबित करने का आधार मान रहे हैं।
भुल्लर का दावा है कि वे उस समय पंजाब में सेवा दे रहे थे और उनके खिलाफ किसी भी तरह की जांच शुरू करने या FIR दर्ज करने के लिए CBI को DSPE एक्ट, 1946 की धारा 6 के तहत पंजाब सरकार की स्पष्ट अनुमति ज़रूरी थी। इसके बिना दर्ज FIR और गिरफ्तारी को वे क़ानूनी रूप से असंवैधानिक बताते हैं।
याचिका के अनुसार, कथित रिश्वत का पूरा घटनाक्रम पंजाब में हुआ था—जहाँ CBI की सीधी कार्रवाई तभी संभव है जब राज्य सरकार अपनी सहमति दे। भुल्लर के वकीलों का कहना है कि चंडीगढ़ स्थित CBI यूनिट को इस प्रकरण पर FIR दर्ज करने का अधिकार क्षेत्र ही नहीं था, क्योंकि अपराध का स्थान पंजाब है और चंडीगढ़ एक अलग केंद्र शासित क्षेत्र है।
भुल्लर ने यह भी कहा है कि CBI द्वारा चंडीगढ़ में बरामद बताए गए सामान को उनकी व्यक्तिगत बरामदगी के रूप में दिखाना तथ्यों के विपरीत है। उनके अनुसार यह सामान उनके कब्ज़े से नहीं मिला और न ही किसी छापेमारी के दौरान उनसे सीधे जब्त किया गया।
याचिका का चौथा और सबसे महत्वपूर्ण बिंदु दो FIR से जुड़ा है। भुल्लर का कहना है कि जिस अपराध को लेकर CBI ने FIR दर्ज की, उसी अपराध पर इससे पहले पंजाब विजिलेंस ब्यूरो पहले ही FIR दर्ज कर चुका था। दोनों FIR के दर्ज होने के समय में लगभग आधे घंटे का अंतर बताया जाता है, जिससे भुल्लर ने "दोहरा अभियोजन" का सवाल उठाया है। उनके अनुसार एक ही अपराध पर दो समानांतर FIR दर्ज करना न्यायिक सिद्धांतों के विरुद्ध है और यह उन्हें दोहरी कार्रवाई की ओर धकेलता है।
भुल्लर को 16 अक्टूबर 2025 को CBI ने 8 लाख रुपये की कथित रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उनके ठिकानों पर हुई छापेमारी में बड़ी मात्रा में नकदी, कीमती धातुएँ और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज मिलने का दावा किया गया। पंजाब सरकार ने उन्हें 19 अक्टूबर को निलंबित कर दिया था। बाद में 29 अक्टूबर 2025 को CBI ने उन पर आय से अधिक संपत्ति रखने का दूसरा केस भी दर्ज कर लिया। दूसरी ओर पंजाब विजिलेंस ब्यूरो पहले ही उन पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर चुका था।
नवंबर 2025 में अदालत ने उन्हें CBI की हिरासत में भेज दिया था और फिलहाल मामला जांच के चरण में है। हाईकोर्ट में उनकी नई याचिका पर सुनवाई के बाद यह साफ होगा कि CBI की कार्रवाई बरकरार रहेगी या फिर जाँच की प्रक्रिया पर नए सिरे से न्यायालय कोई टिप्पणी करेगा।
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