350वें शहीदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सिख इतिहास की टकसाल परंपरा, गुरु साहिब की यात्राओं, वाणी और शहादत के गहरे आध्यात्मिक अर्थों पर चर्चा
350वें शहीदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सिख इतिहास की टकसाल परंपरा, गुरु साहिब की यात्राओं, वाणी और शहादत के गहरे आध्यात्मिक अर्थों पर चर्चा
खबर खास,पंजाब:
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया। “श्री गुरु तेग बहादुर शहादत: इतिहास लिखने का एक अभ्यास” शीर्षक वाले इस कार्यक्रम में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सांता बारबरा से सेवानिवृत्त प्रतिष्ठित सिख विद्वान प्रो. गुरिंदर सिंह मान मुख्य वक्ता रहे। यह विद्वतापूर्ण कार्यक्रम कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में आयोजित हुआ, जिसमें विभिन्न विभागों के संकाय सदस्यों, शोधार्थियों और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पंजाबी विभाग की प्रो. रमनदीप कौर द्वारा स्वागत भाषण के साथ हुआ। उन्होंने विश्वविद्यालय में ऐसे शैक्षणिक आयोजनों की आवश्यकता और महत्ता पर प्रकाश डाला। इसके बाद मास कम्युनिकेशन एंड मीडिया स्टडीज़ विभाग के डॉ. रूबल कनोज़िया ने मुख्य वक्ता प्रो. मान का परिचय प्रस्तुत किया और उनके शोध एवं सिख इतिहास के क्षेत्र में उनके योगदान का उल्लेख किया।
मुख्य व्याख्यान के दौरान प्रो. गुरिंदर सिंह मान ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, शिक्षाओं और शहादत पर विस्तृत, शोध-आधारित और ऐतिहासिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रारंभिक सिख पांडुलिपियों, ऐतिहासिक दस्तावेजों और टकसाल परंपरा का उल्लेख करते हुए बताया कि सिख धर्म में अध्यापन और आध्यात्मिकता की नींव सत्य की खोज, अनुशासन और चरित्र निर्माण पर आधारित है।
प्रो. मान ने गुरु तेग बहादुर जी के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों, उनकी यात्राओं, उनके उपदेशों और उनकी वाणी के सिख समाज पर पड़े गहरे प्रभाव को विस्तारपूर्वक समझाया। उन्होंने बताया कि गुरु साहिब का दर्शन न्याय, करुणा, निडरता और मानवता की रक्षा जैसे मूल्यों पर टिका है।
व्याख्यान में उन्होंने गुरु साहिब से जुड़े नाम, तिथियों और शुरुआती कलात्मक चित्रणों पर आधारित ऐतिहासिक अभिलेखों का विश्लेषण करते हुए बताया कि समय के साथ ये विवरण कैसे विकसित होते गए। उन्होंने कहा कि सिख इतिहास की स्मृति परतदार है, जिसमें विभिन्न युगों के व्याख्याकारों का दृष्टिकोण जुड़ता गया है।
प्रो. मान ने स्पष्ट किया कि प्रारंभिक सिख ग्रंथों में गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को केवल एक ऐतिहासिक घटना के रूप में नहीं, बल्कि धर्मिक स्वतंत्रता, अंतरात्मा की आज़ादी और सामाजिक सद्भाव की रक्षा के लिए दिए गए सर्वोच्च आदर्श के रूप में वर्णित किया गया है। उनका कहना था कि गुरु साहिब का बलिदान न सिर्फ सिख इतिहास बल्कि पूरे भारतीय आध्यात्मिक इतिहास की दिशा निर्धारित करता है।
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने प्रो. मान के व्याख्यान को ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का जीवन और शहादत आज भी समाज को न्याय, निडरता और पीड़ितों की रक्षा के मूल्यों का संदेश देते हैं।
कार्यक्रम का समापन साउथ एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज़ विभाग के प्रो. बावा सिंह द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने मुख्य वक्ता, अतिथियों, संकाय सदस्यों और छात्रों के सक्रिय सहभाग के लिए आभार जताया।
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